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Video - धामपुर - योगी चाह रहे सूबे मे सुशासन, स्थानीय प्रशासन अव्यस्थओ पर साधे बैठा मौन

रिपोर्ट -  धामपुर/बिजनौर/उत्तर प्रदेश (संजय कुमार शर्मा)


अभी तीन दिन पूर्व ही अमरोहा मे पधारे सूबे के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ जी प्रदेश मे सुशासन का आश्वासन देते नजर आये। यही नही इससे पहले भी हमेशा यही कहा गया कि यह सरकार आम आदमी की सरकार है न कि पूॅजीपति व रसूखदारो की, पर क्या उनका यह कथन प्रदेश मे लागू हो रहा है। यदि यह जानने का प्रयास उनके स्तर से अथवा उच्चाधिकारियो के स्तर से किया जाता तो उचित होता। प्रदेश मे आज भी आम आदमी परेशानियो से जूझ रहा है और उसकी समस्याओ का निस्तारण न तो स्थानीय प्रशासन कर पा रहा है और न ही अन्य कोई। अपना समय और पैसा बरबाद कर आम आदमी भविष्य के भरोसे शान्त हो जाता है और उसकी खामोशी को उसकी सन्तुष्टि मान लिया जाता है। 
उपरोक्त शब्दो को लिखने का आशय यह कदापि न लिया जाये और न समझा जाये कि मै व्यक्तिगत रूप से किसी राजनैतिक पार्टी अथवा संगठन का विरोधी अथवा पक्षधर हूूॅ। मेरी यह लेखनी तो केवल वह लिख रही है जो आज प्रदेश की व्यवस्था मे देखा जा रहा है और जिसका मै स्वयं भुक्त भोगी हूॅ।

जिला बिजनौर के तहसील मुख्यालय धामपुर से चन्द किलोमीटर की दूरी पर मुख्य हाईवे पर शेरकोट की ओर बढने पर राजपूताना रिसोर्ट के नाम से एक बैंक्वेट हाल खुला है। अफसोस की बात यह है कि बड़ी बड़ी इमारते तो इस बैक्वेट हाल मे खड़ी कर ली गयी है और शायद अन्य आधुनिक सुविधाये भी यहॉ आने वाले मेहमानो को दी जा रही हो पर शायद इसके संस्थापक यह भूल गये कि आप राष्ट्रीय राजमार्ग के बिल्कुल किनारे पर हो तथा यहॉ किसी कार्यक्रम मे शामिल होने आये मेहमानो के वाहनो के लिये पार्किंग का भी बन्दोबस्त होना चाहिये।

रविवार की रात्रि को लगभग पौने दस बजे के आसपास जब मै स्वयं नैनीताल से वापस आ रहा था तो वहॉ लम्बा जाम लगा देखा। एक बार तो मन मे यह विचार आया कि शायद कोई दुर्घटना हो गयी है, परन्तु जाम मे खड़े अन्य वाहन स्वामियों से जानकारी मिली कि राजपूताना रिसोर्ट मे शादी का कार्यक्रम है जिसमे सम्मिलित होने आये मेहमानो के वाहन सड़क के दोनो किनारो पर पार्क कर दिये गये है इसी कारण यह जाम लगा है। यह जानकारी मिलने पर पहले तो वहॉ के नजारे के चन्द फोटोग्राफ कैमरे मे कैद किये उसके बाद डायल 100 को जानकारी देनी चाही परन्तु किन्ही कारणो से नम्बर नही लग सका। इस जाम का सबब बन रही उन गाडि़यो मे जो हाईवे के दोनो किनारो पर बेतरतीब ढंग से पार्क की गयी थी मे प्रदेश मे सत्तारूढ राजनैतिक दल के कुछ नेताओ के स्टीकर लगी गाडि़या भी नजर आयी। रिसोर्ट के मुख्य गेट पर मौजूद सुरक्षाकर्मी से जानकारी लेनी चाही तो उसका जबाब था ये कौनसी नयी बात है कोई नही अभी बारात सड़क पर है थोड़ी देर बाद सब सही हो जायेगा। सुरक्षाकर्मी को अपना परिचय दिये बगैर यह भी जानने का प्रयास किया गया कि शादी किसकी है और रिसोर्ट के मालिक कौन है तो उसने यह कहकर टाल दिया जाओ गाड़ी मे बैठो जाम खुलते ही निकल जाना।

यह खेद का विषय है कि इस जाम मे केवल चन्द छोटे वाहन ही नही वरन सार्वजनिक परिवहन सेवा के अन्तर्गत चलने वाली उत्तरॉचल रोडवेज व उत्तर प्रदेश परिवहन की बसे भी फॅसी देखी गयी। हाईवे पर दोनो ओर लगभग 1 किलोमीटर दूर तक जाम लगा था। यह कहना गलत नही होगा कि सूबे के मुख्यमन्त्री के दावो के विपरीत कुछ पूॅजीपति व रसूखदार जहॉ अपने वारे न्यारे करने मे लगे है वही स्थानीय प्रशासन भी आम आदमी के चुप रहने का फायदा उठाकर वाहवाही लूटने मे लगा है। ये इसलिये कहा जा रहा है क्योकि लगभग 30 मिनट बाद जब मन्द गति से गाड़ी लेकर आगे बढा तो एक पुलिसकर्मी को मोबाईल मे कुछ करते देख यह पूछ लिया कि सर आज यहॉ शादी किसकी है तो उन्होने अभद्रता के साथ दिया मेरी तो नही है और गाड़ी आगे बढाओ। यह पुलिसकर्मी एक सफेद रंग की टाटा सुमो के साथ ही सड़क किनारे मौजूद था शायद यह उसी गाड़ी का चालक रहा होगा। पुलिसकर्मी के इस उत्तर को सुन मै असमंजस मे पड़ गया कि जहॉ देश के प्रधानमन्त्री व उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री स्वयं बार बार अनेक मंचो से यह कहते सुने गये है कि पुलिस आपकी मित्र है क्या उस प्रदेश मे पंुलिस का यह कहना उचित है। 
यदि इस बात को अनदेखा भी कर दिया जाये तो मूल तथ्य तो यह है कि यदि इसी प्रकार हाईवे बारातो के आने जाने से जाम होते रहे तो जाम मे फॅसे उन लोगो पर क्या गुजरेगी जिन्हे किसी आवश्यक कार्य से अपने गन्तव्य पर समय से पहुॅचना है उन तिमारदारो पर क्या गुजरेगी जो अपने मरीज को एम्बूलेन्स मे लिये है और उसे तड़पता देख रहे है। यदि अब भी प्रदेश का शासन सत्ता के मद मे चूर हो केवल वोट बैंक की राजनीति करता रहा तो वह दिन दूर नही जब आम आदमी अपने अधिकारो के लिये जंग छेड़ देगा और आज सड़को पर जो अराजकता पूॅजीपति, रसूखदार व वर्दीधारी कर रहे है उसके विपरीत यह एक आन्दोलन का रूप लेकर आम आदमी सड़क पर उतर आयेगा। 
कहने का तात्पर्य मात्र यह है कि यदि शासन नही तो प्रशासन तो यह सोचे कि आप जनता के सेवक हो एवं जनता के लिये काम करना ही उनकी प्राथमिकता होनी चाहिये। सरकारे कुछ समय के लिये आती है परन्तु प्रशासनिक कार्य अनवरत चलते है एवं प्रशासनिक कर्मचारी व अधिकारी भी इसी आम आदमी के मध्य हमेशा रहते है। 


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