अमरोहा - बृजघाट गंगा मे नौका परिचालन पर शासन ने लगायी रोक, नाविको के सामने खड़ी हुई रोजी रोटी की समस्या
रिपोर्ट - बृजघाट/हसनपुर से तहसील प्रभारी घनश्याम शर्मा।

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पिछले कुछ दिनो से गंगा के जलस्तर मे हो रही अभूतपूर्व बढोत्तरी के चलते शासन ने गंगा मे नौका परिचालन पर रोक लगा दी है। इस रोक के चलते बृजघाट पर नौका परिचालन कर अपने परिवारो का भरण पोषण कर रहे नाविको के सामने रोजी रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है। नाविक सुबह से देर शाम तक घाटो पर आकर अपनी नौकाओ मे बैठे रहते है तथा इन्तजार करते है कि शायद शासन ये रोक हटा दे और वे फिर से अपने रोजगार मे लग सके। यहॉ यह भी गौरतलब है कि सावन माह शुरू हो चुका है एवं बृजघाट पर जल लेने को आने वाले कॉवडि़यो व अन्य भक्तो की भीड़ आना शुरू हो गयी है। यह समय नाविको के रोजगार के लिये स्वर्मिण समय था परन्तु शासन की रोक के चलते नाविक परेशान है। घाटो पर नौका परिचालन पर रोक लगाने का निर्णय शनिवार को लिया गया था।
बृजघाट पर कॉवड़ यात्रा के मददेनजर शिवभक्तो की सुविधा व सुरक्षा हेतु सीओ गढ ने सख्त निर्णय लेते हुए अतिक्रमण हटवाया तथा आने वाले भक्तो को कोई असुविधा स्नान आदि मे न हो इसके लिये गंगा के किनारो से भी दुकाने आदि हटवायी। इसी क्रम मे गंगा मे नौका परिचालन पर भी रोक के आदेश दे दिये। नाविको से जब न्यूज इन्डिया 17 के हसनपुर तहसील प्रभारी ने वार्ता की तो उनका कहना था कि उनके सामने आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है यदि जल्द ही यह आदेश वापस नही लिया गया तो उनके परिवार भुखमरी के कगार पर पहुॅच जायेंगे। सभी नाविको ने सुरक्षित स्थान न मिल पाने पर अपनी नावे मुर्दा घाट की ओर ले जाकर रस्सियों की सहायता से बॉधकर खड़ी कर दी है। परेशान नाविक अब एसडीएम महोदय से मिलने का मन बना रहे है।
यह भी गौरतलब तथ्य है कि घाटो पर स्नान करते समय किसी के साथ यदि कोई दुर्घटना होती है तो यह नाविक ही अपनी कुशलता का परिचय देते हुए यात्रियो की जीवन रक्षा करते आये है। यह कहना अनुचित नही होगा कि राहत व बचाव कार्य भी इन्ही के द्वारा अंजाम दिये जाते है। हाल ही मे एक नाविक ने शासन के आदेशो की अवहेलना करते हुए एक मॉ एवं बेटे को डुबने से बचाकर उनकी प्राण रक्षा की थी। इससे पहले भी फरीदाबाद से स्नान हेतु आये एक युवक को एक नाविक ने ही डुबने से बचाया था।
आज एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि एक ओर तो सरकार युवको को रोजगार देने के लिये नयी नयी योजनाये चला रही है, घोषणाये कर रही है और एक ओर जो लोग स्वरोजगार मे लगे है तथा किसी को हानि पहुॅचाये बिना अपना जीवन यापन कर रहे है उनके कार्य पर रोक सम्बन्धी आदेश चाहे यह आदेश अस्थायी ही क्यो न हो लगाकर उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा कर रही है। शासन के निर्णय सम्मानीय व सर्वमान्य है परन्तु इस आदेश के साथ ही इन नाविको के सामने जो संकट आया है उसके लिये किसी विकल्प पर विचार भी करना चाहिये ताकि ये लोग भी अपने परिवार के लिये रोजी रोटी कमा सके।
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पिछले कुछ दिनो से गंगा के जलस्तर मे हो रही अभूतपूर्व बढोत्तरी के चलते शासन ने गंगा मे नौका परिचालन पर रोक लगा दी है। इस रोक के चलते बृजघाट पर नौका परिचालन कर अपने परिवारो का भरण पोषण कर रहे नाविको के सामने रोजी रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है। नाविक सुबह से देर शाम तक घाटो पर आकर अपनी नौकाओ मे बैठे रहते है तथा इन्तजार करते है कि शायद शासन ये रोक हटा दे और वे फिर से अपने रोजगार मे लग सके। यहॉ यह भी गौरतलब है कि सावन माह शुरू हो चुका है एवं बृजघाट पर जल लेने को आने वाले कॉवडि़यो व अन्य भक्तो की भीड़ आना शुरू हो गयी है। यह समय नाविको के रोजगार के लिये स्वर्मिण समय था परन्तु शासन की रोक के चलते नाविक परेशान है। घाटो पर नौका परिचालन पर रोक लगाने का निर्णय शनिवार को लिया गया था।
बृजघाट पर कॉवड़ यात्रा के मददेनजर शिवभक्तो की सुविधा व सुरक्षा हेतु सीओ गढ ने सख्त निर्णय लेते हुए अतिक्रमण हटवाया तथा आने वाले भक्तो को कोई असुविधा स्नान आदि मे न हो इसके लिये गंगा के किनारो से भी दुकाने आदि हटवायी। इसी क्रम मे गंगा मे नौका परिचालन पर भी रोक के आदेश दे दिये। नाविको से जब न्यूज इन्डिया 17 के हसनपुर तहसील प्रभारी ने वार्ता की तो उनका कहना था कि उनके सामने आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है यदि जल्द ही यह आदेश वापस नही लिया गया तो उनके परिवार भुखमरी के कगार पर पहुॅच जायेंगे। सभी नाविको ने सुरक्षित स्थान न मिल पाने पर अपनी नावे मुर्दा घाट की ओर ले जाकर रस्सियों की सहायता से बॉधकर खड़ी कर दी है। परेशान नाविक अब एसडीएम महोदय से मिलने का मन बना रहे है।
यह भी गौरतलब तथ्य है कि घाटो पर स्नान करते समय किसी के साथ यदि कोई दुर्घटना होती है तो यह नाविक ही अपनी कुशलता का परिचय देते हुए यात्रियो की जीवन रक्षा करते आये है। यह कहना अनुचित नही होगा कि राहत व बचाव कार्य भी इन्ही के द्वारा अंजाम दिये जाते है। हाल ही मे एक नाविक ने शासन के आदेशो की अवहेलना करते हुए एक मॉ एवं बेटे को डुबने से बचाकर उनकी प्राण रक्षा की थी। इससे पहले भी फरीदाबाद से स्नान हेतु आये एक युवक को एक नाविक ने ही डुबने से बचाया था।
आज एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि एक ओर तो सरकार युवको को रोजगार देने के लिये नयी नयी योजनाये चला रही है, घोषणाये कर रही है और एक ओर जो लोग स्वरोजगार मे लगे है तथा किसी को हानि पहुॅचाये बिना अपना जीवन यापन कर रहे है उनके कार्य पर रोक सम्बन्धी आदेश चाहे यह आदेश अस्थायी ही क्यो न हो लगाकर उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा कर रही है। शासन के निर्णय सम्मानीय व सर्वमान्य है परन्तु इस आदेश के साथ ही इन नाविको के सामने जो संकट आया है उसके लिये किसी विकल्प पर विचार भी करना चाहिये ताकि ये लोग भी अपने परिवार के लिये रोजी रोटी कमा सके।