रामपुर - निजीकरण के विरोध में बिजली विभाग के अधिकारियो व कर्मचारियों ने निकाला मशाल जुलुस, कहा उपभोक्ता की जेब पर बढ़ेगा बोझ
बिजली विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी निजीकरण के विरोध में सड़क पर उतर आए। नाहिद सिनेमा से लेकर गांधी समाधि तक मशाल जुलूस निकाला। इस जुलूस में विभाग के दो सौ से अधिक अधिकारी एवं कर्मचारी शामिल हुए। सभी ने एकजुटता से निजीकरण के फैसले का विरोध किया। कहा कि इससे बिजली भी महंगी होगी और उपभोक्ताओं का शोषण बढ़ जाएगा।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी नाहिद सिनेमा स्थित अधिशासी अभियंता के कार्यालय में एकत्र हुए। इसके बाद सभी अपने अपने हाथों में मशाल लेकर गांधी समाधि की ओर से निकल गए। यहां अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने एकजुटता की बात कही। अधीक्षण अभियंता संजय कुमार गर्ग ने कहा कि यदि निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त न किया गया तो पांच अक्टूबर से बिजली कर्मी पूरे दिन का कार्य बहिष्कार करेंगे। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किसी भी प्रकार से प्रदेश और आम जनता के हित में नहीं है। निजी कंपनी मुनाफे के लिए काम करती है, जबकि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम बिना भेदभाव के किसानों और गरीब उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति कर रहा है। निजी कंपनी अधिक राजस्व वाले वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं को प्राथमिकता पर बिजली देगी, जो ग्रेटर नोएडा और आगरा में हो रहा है। निजी कंपनी लागत से कम मूल्य पर किसी उपभोक्ता को बिजली नहीं देगी। अभी किसानों, गरीबी रेखा के नीचे और पांच सौ यूनिट प्रति माह बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को पॉवर कारपोरेशन घाटा उठाकर बिजली देता है, जिसके चलते इन उपभोक्ताओं को लागत से कम मूल्य पर बिजली मिल रही है। अब निजीकरण के बाद स्वाभाविक तौर पर इन उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी होगी।
समिति के सह संयोजक वीपी सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बिजली की लागत का औसत मूल्य 7.90 रुपये प्रति यूनिट है और निजी कंपनी द्वारा एक्ट के अनुसार कम से कम 16 प्रतिशत मुनाफा लेने के बाद 9.50 रुपये प्रति यूनिट से कम दर पर बिजली किसी को नहीं मिलेगी। इस प्रकार एक किसान को लगभग आठ हजार रुपये प्रति माह और घरेलू उपभोक्ताओं को आठ हजार से दस हजार रुपये प्रति माह तक बिजली बिल देना होगा। निजी वितरण कंपनियों को कोई घाटा न हो इसीलिए निजीकरण के प्रस्ताव के अनुसार पूर्वांचल में तीन वर्ष में ट्यूबवेल के फीडर अलग कर ट्यूबवेल को सौर ऊर्जा से जोड़ देने की योजना है। अभी सरकारी कंपनी घाटा उठाकर किसानों और उपभोक्ताओं को बिजली देती है। निजीकरण के प्रस्ताव के अनुसार सरकार निजी कंपनियों को पांच साल से सात साल तक परिचालन व अनुरक्षण हेतु आवश्यक धनराशि भी देगी। साथ ही निजी कंपनियों को विद्युत वितरण सौंपने के समय तक के सभी घाटे का उत्तरदायित्व पॉवर कारपोरेशन अपने ऊपर ले लेगा, जिससे निजी कंपनियों को क्लीन स्लेट मिले।
इस मौके पर अधिशासी अभियंता भीष्म कुमार, इमरान, विनोद कुमार, उपखंड अधिकारी विनय कुमार, प्रदीप कुमार, आशीष सिंह, अवर अभियंता संजीव चौरसिया, राहुल रंजन, लोकेश कुमार समेत सभी अधिकारी एवं कर्मचारी शामिल रहे।