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नहटौर - सभा आयोजित कर प्रभारी निरीक्षक ने दिए किसान आंदोलन को शांतिपूर्ण बनाये रखने हेतु निर्देश

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कृषि बिलो के विरोध में एक माह से अधिक समय से जारी किसान आंदोलन के चलते अब प्रशासन ने स्थानीय स्तर पर किसानों के साथ वार्ता कर गलत फहमी दूर करने का प्रयास प्रारम्भ कर दिया है। इस को लेकर पिछले कुछ दिनों में कई सांसदों व मंत्रियों ने भी देश के विभिन्न भागो में कार्यक्रम आयोजित कर किसानों के बीच कृषि बिलो को लेकर पनप रहे आक्रोश को शांत करने का प्रयास किया है तथा उनसे लोकतांत्रिक ढंग से अपनी बात रखने का आग्रह किया है। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए उच्चाधिकारियों के निर्देश पर प्रभारी निरीक्षक सत्यप्रकाश सिंह ने आज सोमवार को विभिन्न किसान यूनियनों के पदाधिकारियों व सभ्रांत व्यक्तियों की एक सभा थाना प्रांगण में बुलाई।

सभा मे किसानों की ओर से पहुंचे विभिन्न किसान यूनियनों के पदाधिकारियों ने अपनी समस्याएं बताई। इन समस्याओं में मुख्य रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद न होने व कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को प्रारम्भ किये जाने को लेकर आक्रोश व्यक्त किया गया। किसानो का कहना था कि सरकार इन बिलो की आड़ में किसान को कंपनियों को अपनी फसल बेचने को बाध्य कर रही है तथा किसान केवल फसल पैदा करने वाला एक मजदूर मात्र बनकर रह जायेगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर उनका कहना था कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानो से फसल नही खरीदना चाह रही है तथा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिये कम्पनियों को किसी भी कृषि उत्पाद के अथाह भंडारण की स्वतंत्रता दे रही है जिसके चलते जहां बाजार में मूल्य वृद्धि होगी वही कम्पनियों को मोटा मुनाफा कमाने का अवसर मिलेगा।

किसानों की सभी समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुनने के बाद प्रभारी निरीक्षक सत्यप्रकाश सिंह ने कहा कि किसान देश के अन्नदाता है तथा विपरीत परिस्थितियों में भी मौसम की मार को सहते हुए देशवासियों के भरण पोषण हेतु अन्न की पैदावार करने में जुटे रहते है। उन्होंने कहा कि भारत गांवों का देश है और कृषि यहां का मुख्य व्यवसाय है। कृषि कानूनों को लेकर किसानों के बीच उपज रही विभिन्न भ्रांतियों पर उन्होने कहा कि सरकार किसी भी रूप में किसानों का अहित नही चाहती है। किसानों के लिए न्यूनतम मूल्य पर फसलो की खरीद पूर्व की भांति भविष्य में भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि इस सभा का उद्देश्य कृषि बिलो के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन को लोकतांत्रिक रूप देना है न कि किसानों को उनका पक्ष रखने से रोकना। किसान अपनी बात रखने हेतु स्वतंत्र है तथा भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के तहत भारत के प्रत्येक नागरिक को बोलने व अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता दी गयी है, परन्तु साथ ही अपनी बात को कहने हेतु कुछ मापदंड भी निर्धारित किये गए है। जिसके तहत राष्ट्र हित को सर्वोच्च स्थान पर रखा गया है अतः किसान किसी भी प्रकार की अपनी मांग रखने व विरोध करने को स्वतंत्र तो है परन्तु उसे लोकतांत्रिक ढंग से रखे जिससे राष्ट्रीय संपत्ति व राष्ट्र का किसी प्रकार का अहित न होने पाए। अंत मे उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान जहां प्रत्येक नागरिक के मौलिक अधिकारों को लेकर लचीला है वही राष्ट्र की सुरक्षा को लेकर सजग व सख्त भी है अतः किसान आंदोलन को किसी भी प्रकार से राजनीतिक रूप न दे व संविधान के दायरे में रहकर लोकतांत्रिक ढंग से अपना विरोध प्रकट करे। उन्होंने बताया कि किसानों की सामान्य समस्याओं के निराकरण हेतु थाने में अलग से किसान हेल्प डेस्क की भी व्यवस्था की गई है जहाँ किसान अपनी समस्याओं को लेकर आ सकते है।

सभा मे मौजूद रहे विभिन्न किसान यूनियनों के पदाधिकारियों ने प्रभारी निरीक्षक के कथन पर सहमति देते हुए आश्वस्त किया कि कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आन्दोलन को किसी भी रूप में हिंसक रूप नही दिया जाएगा तथा किसी भी प्रकार का ऐसे राजनैतिक दखल नही होने देंगे जिससे आंदोलन अपने असली मुद्दों से भटककर राजनैतिक रूप में परिवर्तित हो जाये। किसान नेताओ ने आश्वस्त किया कि किसान आंदोलन लोकतांत्रिक रूप से ही जारी रहेगा तथा इसमें धर्म, जाति अथवा व्यक्ति विशेष के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नही पनपने दिया जाएगा।

सभा मे सुरेंद्र सिंह फलौदिया, अध्यक्ष आल इंडिया सिक्ख प्रतिनिधि बोर्ड, उत्तर प्रदेश, चेयरपर्सन पुत्र राजा अंसारी, लोकेंद्र सिंह, सचिव व जिलाध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन, अजीत सिंह, शक्ति सिंह, निजामुद्दीन, हरसरण सिंह, मोहम्मद आकिब, नफीस अहमद, नसीम अहमद, मोहम्मद हारून आदि उपस्थित रहे।

















 















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