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रामपुर - किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली के आईटीओ पर मारे गए नवरीत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुला मौत का रहस्य, परिजन लगा रहे थे पुलिस पर आरोप

newsindia17
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कल 26 जनवरी 2021 को गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसान आंदोलन के दौरान आईटीओ पर मारे गए बिलासपुर के नवरीत सिंह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने उसकी मौत के रहस्य से पर्दा उठा दिया है। कल आंदोलन के दौरान आईटीओ पर पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ते समय नवरीत का ट्रैक्टर पलट गया था और नवरीत की मौत हो गयी थी। नवरीत के परिजन व किसान संगठन उसकी मौत का कारण पुलिस की गोली लगना बता रहे थे। 

पाठको को बताना उचित होगा कि जिला रामपुर की उत्तराखंड सीमा से सटी डिबडिबा कालोनी का निवासी नवरीत सिंह पुत्र साहब सिंह पांच दिन पहले किसान आंदोलन में गाजीपुर बार्डर पहुँचा था। किसान संगठनों द्वारा  गणतंत्र दिवस के दिन प्रस्तावित ट्रेक्टर परेड में वह शामिल हुआ था। मृतक के पिता साहब सिंह के अनुसार कल 26 जनवरी की सुबह उससे जब बात हुई थी तो नवरीत ने बताया था कि वह अपने दोस्त का ट्रैक्टर चला रहा है और आंदोलन में शामिल है। कुछ देर बाद पता चला कि दिल्ली पुलिस ने नवरीत को गोली मार दी है और उसकी मौत हो गई है। 

कल देर रात नवरीत का शव जिला अस्पताल रामपुर  लाया गया। यहां कड़ी सुरक्षा के बीच पोस्टमार्टम कराया गया। जिलाधिकारी आञ्जनेय कुमार सिंह ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गोली लगने की बात नहीं है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह सिर में चोट लगना बताया गया है। नवरीत का शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है। जिलाधिकारी ने बताया कि गांव में स्थिति सामान्य है तथा पुलिस प्रशासन अलर्ट है।

मृतक के पिता साहब सिंह ने बताया कि नवरीत पांच साल पहले पढाई करने के लिए स्टडी वीजा पर आस्ट्रेलिया गया था। पिता साहब सिंह के अनुसार बिलासपुर क्षेत्र के ही गाँव मार्टखेड़ा की निवासी लड़की भी स्टडी वीजा पर वहां गई थी। वहां नवरीत ने उस लड़की से शादी कर ली थी और दोनों एक होटल में नौकरी करने लगे थे। उन्होंने बताया कि उनके पास करीब दस एकड़ भूमि है। इस जमीन पर नवरीत खेती करता था तथा दूसरे किसानो  की भी जमीन ठेके पर लेकर फसल बोता था। उन्होंने बताया कि आस्ट्रेलिया में स्टडी वीजा पर होने के बाद भी होटल में नौकरी करते पकड़े जाने पर नवरीत को दो साल पहले आस्ट्रेलिया प्रशासन ने भारत भेज दिया था। साथ ही आस्ट्रेलिया में सरकार ने उस पर तीन साल का प्रतिबंध लगा दिया था। जिसके बाद ही वह गांव लौट आया था और खेती रहा था।

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