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मुरादाबाद - पुलिस छापेमारी के दौरान खुला सॉफ्टवेयर इंजीनियर द्वारा फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज के माध्यम से सरकार को करोड़ो का चूना लगाने का राज

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कल शनिवार की शाम मुरादाबाद पुलिस ने छापेमारी कर एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर द्वारा फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज संचालित किये जाने का पर्दाफाश किया है। बताया गया कि उवैश आलम नाम का ये सॉफ्टवेयर इंजीनियर अभी तक सरकार को करोड़ो रूपये का चूना लगा चुका है। उवैश आलम केे घर पर छापेमारी के दौरान पुलिस को चौंकाने वाले चीजें म‍िली हैं। ट्रांसपोर्ट नगर में पकड़े गए मोबाइल के निजी सर्वर एक्सचेंज का संचालक तीन साल में करोड़ों रुपये की संपत्ति का मालिक बन गया। 

मूलरूप से मुरादाबाद के भोजपुर थाना क्षेत्र के गाँव लालूवाला के निवासी उवैश आलम ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ दिनों तक एक अमेरिकी साफ्टवेयर कंपनी में काम किया था। उवैश ने तीन साल पहले ही गांव की जमीन बेचकर ट्रांसपोर्ट नगर में कोेठी बनवाई थी। कोठी के ग्राउंड फ्लोर में उवैश ने ईएलआइ इंडिया कंपनी का दफ्तर खोला था। नोएडा पुलिस के द्वारा इस मामले का पर्दाफाश होने के बाद देश की खुफिया एजेंसियों के साथ ही आइबी के अधिकारी भी इस मामले की जाँच कर रहे हैं।

कल शनिवार की शाम करीब सात बजे पुलिस ने उवैश के ट्रांसपोर्ट नगर के आवास में छापेमारी की । इस दौरान घर में आरोपित की पत्नी हिना के साथ ही दो छोटे बच्चे मौजूद थे। छापेमारी के दौरान पुलिस ने करीब चार घंटे तक सर्च आपरेशन चलाया। इस दौरान बड़ी संख्या में इलेक्ट्रानिक उपकरण के साथ बीएसएनएल के सिम बरामद किए गए। पुलिस ने जब इन सिम की आइडी खोजने का काम शुरू किया तो सभी सिम की आइडी फर्जी मिली। बरामद हुए सिम कार्डो में 25 सिम ऐसे मिले जिनके नंबरों को रगड़कर मिटा दिया गया था, ताकि इन नंबरों के बारे में कोई जानकारी न हो सके।                                                                                              
बताया गया कि उवैश के आवास पर मिले निजी सर्वर एक्सचेंज से दुबई, सऊदी अरब और कतर की कॉल को सिम बॉक्स के जरिए ट्रांसफर करके बात कराई जाती थी। ऐसे में विदेश से बात करने वाले को केवल भारत के अंदर काल करने का ही पैसा देना पड़ता था। इस फर्जीवाड़े में सबसे ज्यादा नुकसान भारत संचार मंत्रालय को हो रहा था। जिन कॉल को ट्रांसफर किया जाता था उनके बारे में पुलिस भी पता नहीं लगा सकती थी, क्योंकि सीडीआर रिपोर्ट में दुबई से काल करने वाले व्यक्ति का कोई डाटा ही नहीं होता था। इस खेल के माध्यम से प्रतिमाह करोड़ों रुपये का चूना भारत सरकार को लगाया जा रहा था। वहीं, भारत की आंतरिक सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा था।                                                                                                                                                                         
तकनीकी टीम के अधिकारियो ने बताया कि जिस तरह मोबाइल में एक, दो या तीन सिम लगाकर बात करने की सुविधा प्रदान होती है। उसी प्रकार सिम बॉक्स में एक साथ 32 से लेकर 64 सिमों का प्रयोग किया जा सकता है। इन्हीं सिम बॉक्स के जरिए इंटरनेशनल वाइस कॉल को लोकल सिम में ट्रांसफर करके स्थानीय लोगों से सीधे बात करने की सुविधा दी जाती थी। 

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