बरेली - जुलूस ए मोहम्मदी के दौरान रास्ता रोके जाने पर दो समुदायों में बनी टकराव की स्थिति, अधिकारियो की तत्परता से टला बवाल
गत सावन माह में काँवड़ यात्रा के दौरान बरेली के जोगीनवादा में हुए बवाल के बाद अभी माहौल पूरी तरह शांत भी नहीं हुआ था कि गत रात्रि अंजुमनों का रास्ता रोकने पर मीरा की पैठ में दोनों समुदायों की भीड़ जुट गयी। अफसरों ने बड़ी तत्परता व सक्रियता से काम करते हुए किसी तरह बवाल को टाल दिया।
गत सावन माह में कांवड यात्रा के दौरान हुए बवाल के बाद जोगीनवादा में जुलुस ए मोहम्मदी के दौरान अंजुमनों के विरोध का जोर पकड़ने पर पुलिस व प्रशासन यहाँ की प्रत्येक गतिविधि पर नजर बनाये था। यहाँ किसी प्रकार के बवाल की आशंका को देखते हुए अधिकारियो ने मंगलवार को ही दोनों पक्षों के बीच पंचायत कर समाधान का रास्ता निकाल दिया था। इस बीच कल देर रात मीरा की पैठ क्षेत्र में दो समुदायों के टकराव की सूचना मिलने पर प्रशासन के होश उड़ गए। मीरा की पैठ में शाम करीब 8 बजे अंजुमनों का रास्ता रोके जाने के बाद दोनों समुदायों की भीड़ मौके पर जुटना शुरू हो गयी। इस दौरान वहाँ एक सीओ व सामान्य संख्या में पुलिस बल तैनात था। कुसुम कुमारी इंटर कॉलेज के पास अंजुमन रोके जाने पर कुछ ही देर में माहौल गर्मा गया। रास्ता रोकने वाले समुदाय का कहना था कि अंजुमन गैर परम्परागत रास्ते से जा रही है जबकि दूसरा पक्ष इसे परपरागत रास्ता बता रहा था। स्थिति बिगड़ती देख मौके पर मौजूद पुलिस बल व आरएएफ के जवानो ने दोनों समुदायों भीड़ को नजदीक न आने देने के लिए पूरी ताकत लगा दी। दौरान कई बार पुलिस व आरएएफ ने हवा में लाठियाँ चलाकर भीड़ को पीछे किया। अधिकारियो तक सूचना पहुंचने पर मौके पर जनपद के लगभग सभी थानों से पुलिस बल व पीएसी भी मौके पर पहुँच गयी। इसके बाद पुलिस बल दोनों समुदायों के बीच दीवार बनकर खड़ा हो गया। माना जा रहा है कि अगर बवाल होता तो मौके पर मौजूद पुलिस और आरएएफ के लिए भी खुद को बचाना मुश्किल हो सकता था लेकिन उन्होंने इसकी परवाह किये बगैर करीब 20 मिनट बाद दूसरे थानों से फोर्स पहुँचने तक स्थिति को नियंत्रित करे रखा।
बढ़ते हुए तनाव व स्थिति को नियंत्रित करने हेतु पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियो ने दोनों समुदाय के लोगो से वार्ता शुरू की। शुरू के 2 घंटे तक कोई भी पक्ष अधिकारियो की बात सुनने को तैयार नहीं हुआ। इस दौरान अंजुमन भी जहाँ की तहाँ खड़ी रही। दोनों समुदायों के बीच अच्छी पैठ होने के चलते जोगीनवादा चौकी प्रभारी रह चुके सीओ रूपेंद्र गौड़ को भी मौके पर बुला लिया गया। इसके बाद देर तक समझाने बुझाने के बाद रात लगभग 11 बजे माहौल शांत होना शुरू हुआ। देर रात करीब 12 बजे अधिकारियो ने दुसरे समुदाय के लोगो को दुसरे रास्ते से जाने के लिए मना लिया।
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