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बहेड़ी/बरेली - गन्ना मूल्य भुगतान को लेकर किसानो ने किया धरना प्रदर्शन, मिल गेट पर जड़े ताले, मिल प्रबंधन की बुद्धि शुद्धि को किया हवन

newsindia17

आज शुक्रवार को बरेली के बहेड़ी में बकाया गन्ना मूल्य भुगतान को लेकर केसर शुगर मिल में धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान किसानो ने मिल प्रबंधन की बुद्धि शुद्धि के लिए हवन भी किया। किसानो ने मिल के सभी गेट बंद कर दिए। 4 घंटे तक चले धरना प्रदर्शन के बाद एसडीएम की मध्यस्थता में मिल के सीईओ व किसानो के बीच वार्ता हुई। सीईओ द्वारा 20 दिसम्बर तक पिछला भुगतान किये जाने के आश्वासन पर किसान शांत हुए।


आज शुक्रवार की सुबह 8 बजे तराई किसान मजदूर संगठन के आह्वान पर किसान गन्ना समिति परिसर में एकत्र हुए। किसान यहाँ से केसर शुगर मिल प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए मिल परिसर पहुँचे। यहाँ हवन पूजन के बाद सुबह 10 बजे ही मिल ने पेराई सत्र शुरू किया था। केवल दो हो ट्रालियां तौल पाए थे कि वहां किसान पहुँच गए और मिल प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। मिल गेट पर बैलगाड़ी के तौल कांटे के सामने प्रदर्शन कर रहे किसानो ने मिल के गेट पर ताले डाल दिए। इस दौरान किसानो द्वारा मिल प्रबंधन की बुद्धि शुद्धि के लिए हवन भी किया गया। किसानो ने गन्ना समिति के सचिव राजीव सेठ को भी मिल परिसर से बाहर खींच लिया। इस दौरान काफी धक्का मुक्की भी हुई। किसानो ने गन्ना सचिव को भी अपने साथ धरने पर बैठा लिया।


करीब 4 घंटे तक चले धरना प्रदर्शन के बाद दोपहर लगभग 1 बजे एसडीएम की मध्यस्थता में सीईओ शरत मिश्रा को मौके पर लाया गया। किसान मिल प्रबंधन को झूठा बताते हुए सीएमडी हर्ष किला चंद्रा से वार्ता करने पर अड़ गए। एसडीएम ने कहा कि सीएमडी नहीं आये है उनके स्थान पर शरत मिश्रा से ही वार्ता करनी होगी। एसडीएम ने कहा कि मिल की मुड़िया फार्म स्थित 29 एकड़ जमीन बेचे जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जिलाधिकारी लगातार इस पर नजर बनाये हुए है। किसान नेता चौधरी बिजेंद्र सिंह, इक़बाल सिंह, केंद्र पाल सिंह, राकेश गंगवार, शोएब मलिक, सरदार तरसेन सिंह किसानो की ओर से वार्ता करने को तैयार हुए। 


किसानो से वार्ता के दौरान मिल प्रबंधन ने 31 दिसंबर तक 135 करोड़ रूपये का पिछला भुगतान करने की बात कही, लेकिन किसान इस पर सहमत नहीं हुए। घंटो तक चली इस वार्ता में तय हुआ कि 22 दिसंबर तक पिछला भुगतान कर दिया जायेगा। एसडीएम व सीओ ने आश्वासन दिया कि तय समय सीमा में भुगतान ने होने पर वे भी किसानो के साथ खड़े होंगे। काफी देर चले हंगामे के बाद आश्वासन मिलने पर किसान शांत हुए। 

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