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बदायूँ - बीमारी से परेशान युवक ने मेडिकल कॉलेज की चौथी मंजिल से कूदकर दी जान, मृतक के पिता ने अस्पताल प्रशासन पर लगाया लापरवाही का आरोप

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पोस्टमार्टम हाउस पर मौजूद परिजन व इनसेट मे मृतक सुभाष की फाइल फोटो 
बदायूँ के राजकीय मेडिकल कॉलेज मे भर्ती एक मरीज द्वारा बीमारी से परेशानी के चलते आत्महत्या किये जाने के मामले के बाद एक बार फिर सरकारी स्वास्थ्य सेवाओ व कर्मियों के व्यवहार पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। राजकीय मेडिकल कॉलेज के टीबी वार्ड में भर्ती जिला संभल निवासी एक युवक ने आज शुक्रवार की सुबह  चौथी मंजिल से कूदकर जान से दी। सूचना पर पहुँची पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया। मृतक के परिजनों ने मेडिकल कॉलेज के स्टाफ पर लापरवाहीआरोप लगाया है। युवक के पिता ने का कहना है कि काफी तकलीफ होने पर भी कोई कर्मचारी उनके पुत्र को देखने नही आया और सोने चले गए।

प्राप्त जानकारी के अनुसार जनपद संभल के थाना जुनावई क्षेत्र के गांव हथियावली का निवासी सुभाष आयु 30 पुत्र किशन लाल गत 1 वर्ष से टीबी की बीमारी से ग्रसित था। सुभाष का इलाज चल रहा था। लम्बे इलाज के बाद भी हालत में सुधार न होने पर सुभाष को गत 3 दिसंबर को राजकीय मेडिकल कॉलेज, बदायूं के टीबी वार्ड मे भर्ती कराया गया था। आज शुक्रवार की सुबह लगभग 7 बजे सुभाष ने चौथी मंजिल पर स्थित वार्ड से नीचे छलांग लगाकर जान दे दी। इस घटना के बाद मौके पर अफरातफरी मच गयी। सूचना मिलने पर युवक पिता किशन लाल मौके पर पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस को किशन लाल ने बताया कि बीमार के चलते सुभाष सांस न ले पाने की वजह से बहुत ज्यादा परेशान था। सुभाष ने इस बारे मे कई बार स्टाफ को जानकारी भी दी थी। आरोप है कि स्टाफ ने इसे नजरअंदाज कर दिया था। कल गुरुवार की रात भी सुभाष को सांस लेने में परेशानी होने पर स्टाफ से बताया गया था मगर उन्होंने अनसुना कर दिया था। इसके बाद सभी कर्मचारी सोने के चले गए थे। सुभाष पूरी रात तड़पता रहा। इसी परेशान की चलते उसने आज सुबह अपनी जान दे दी। किशनलाल का आरोप है कि यदि स्टाफ द्वारा लापरवाही न किये जाने पर सुभाष की मौत नहीं होती। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया।

बताया जा रहा है कि घटना के समय राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरुण कुमार व सीएमएस डॉ. विपिन कुमार अवकाश पर थे। मेडिकल कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ. ज्ञानेंद्र ने बताया कि घटना दुखद है और आरोप निराधार हैं। मरीज को भर्ती कराकर इलाज किया जा रहा था। समय पर दवा और इंजेक्शन दे रहे थे। बुधवार को उसने एक मरीज की मौत देखी थी। जिसे देखकर वह घबरा गया था और यह कदम उठा लिया। मामले 
की जांच की जा रही है। जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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