www.newsindia17.tk
News From World For World.....
Sant Kabir Nagar/Uttar Pradesh
50 से ज्यादा प्रधानमंत्री आवास को कागजों में ही बनाकर सरकारी धन का जमकर बंदर बांट करने की शिकायत
संतकबीर नगर. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही देश के बेघर परिवारों को पीएम आवास योजना के तहत घर देकर उन्हें छत का सहारा देना चाह रहे हैं, मगर सरकार की यह योजना को जिम्मेदार अधिकारी अपने जेब भरने का माध्यम बना चुके हैं। हालात यह है कि लाभार्थियों की जगह यह योजना अपात्रों को धड़ल्ले से दी जा रही है ।
ताजा मामला जिले के नाथनगर ब्लॉक के झिंगुरापार गांव का है, जहां के रहने वाले मोहम्मद अकरम नाम के एक शख्स ने अधिकारियों से शिकायत की है कि उनके गांव में 50 से ज्यादा प्रधानमंत्री आवास को कागजों में ही बनाकर ग्राम प्रधान और अधिकारियों ने सरकारी धन का जमकर बंदर बांट किया है और शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई यहां तक कीसरकारी नौकरी करने वाले को भी प्रधानमंत्री आवास दे दिया गया। इस गांव में ऐसे कई गरीब हैं जिनके पास सिर छुपाने के लिए एक छत नहीं फिर भी इन गरीबों को प्रधानमंत्री आवास से महरूम कर दिया गया और आज भी यह सभी परेशान हैं और इनकी सुनने वाला कोई नहीं।
जब गांव के प्रधान उदयभान चौधरी से यह पूछा गया कि आपके गांव में कितने आवास आए हैं और कितने बन चुके जिस पर ग्राम प्रधान ने कहा हमारे गांव में महज 33 आवास आवास आए हैं जिसमें से सिर्फ 18 बने हुए हैं और अभी तक किसी को भी पूरा पैसा नहीं मिला है।
वही जब इस पूरे मामले पर जिला परियोजना अधिकारी प्रमोद यादव सवाल किया गया तो उन्होंने अलग ही आंकड़ा बताया और कहा कि उस गांव में 2 साल में कुल 38 आवाज दिए गए हैं जिनमें से 35 आवास के लाभार्थियों को एक लाख 10 हज़ार रूपाए की दर से दिए जा चुके हैं जबकि 10 हजार रुपए तब दिए जाएंगे जब वह आवास का प्लास्टर पूरी तरह करवा लेंगे।
जिला परियोजना निदेशक का आंकड़ा सही है या ग्राम प्रधान का यह एक बड़ा सवाल है शिकायतकर्ता की माने तो इस गांव में 2010 से अब तक कुल 70 आवास दिए गए हैं जिनमें से 10 से 15 आवास ही बनाए गए हैं और बाकी के पैसे ग्राम प्रधान और अधिकारियों ने मिलकर बंदर बांट कर लिए हैं अब ऐसे में सवाल उठता है कि जब ग्राम प्रधान और जिला परियोजना अधिकारी के आवास के आंकड़े अलग-अलग हैं तो इसमें सच्चाई क्या है, क्या वाकई यहां पर आवास घोटाला हुआ है यह तो जांच के बाद ही मालूम पड़ेगा।
परियोजना निदेशक विनोद कुमार यादव ने तो इशारों इशारों में ही यूपी की योगी सरकार पर ही सवाल खड़ा करते हुए बालू ना मिलने का रोना रोकर पूरे मामले पर पर्दा डालने की कोशिश की और कहा कि पिछले 6 महीने से बालू की बहुत किल्लत है और काफी महंगे भी हो चुके हैं क्योंकि बालू न मिलने में लोगों को बहुत दिक्कतें आ रही है