रिपोर्ट - मुरादाबाद/उत्तर प्रदेश से जिला प्रभारी सत्यवीर यादव।
झोलाछाप लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। तहसील बिलारी के गांव खड़ोआ निवासी रामनरेश की पत्नी संतोष को बुखार आया था। परिवार के लोगों ने झोलाछाप सोमपाल सिंह से बुखार की दवा दिला दी। बुखार तो ठीक नहीं हुआ बल्कि दवा रिएक्शन कर गई। इसके बाद संतोष की हालत खराब होने लगी।
आंखों में धुंधलापन महसूस हुआ तो झोलाछाप को बताया गया। उसने बोल दिया कि नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाएं। इसके बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ। इसके बाद महिला की आंखों से दिखाई देना बंद हो गया। नेत्र रोग विशेषज्ञों के मुताबिक आंखों की रोशनी आने में कुछ समय लग सकता है। इतनी जानकारी मिलने के बाद पति रामनरेश ने झोलाछाप के खिलाफ कोतवाली में मुकदमा दर्ज करा दिया। झोलाछाप दुकान बंद करके फरार हो गया है।
दरअसल, गांवों में सरकारी सेवा उपलब्ध नहीं है। कस्बे और तहसील मुख्यालय पर भी दोपहर तक दवा मिल पाती है। ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सक नहीं होने से फार्मेसिस्ट ही दवा देते हैं। केंद्रों पर दवाओं का भी अभाव रहता है। दोपहर बाद सभी केंद्र बंद हो जाते हैं। मजबूरन ग्रामीणों को झोलाछाप से उपचार कराना पड़ता है।