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धामपुर - गजल सम्राट दुष्यंत त्यागी की पुण्यतिथि पर आयोजित काव्य गोष्ठी में उपस्थित कवियों ने देश भक्ति से ओतप्रोत रचनाओं को सुना लूटी वाहवाही

रिपोर्ट - धामपुर/जिला बिजनौर से तहसील प्रभारी विपिन कुमार। 

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 उत्तर प्रदेश युवा साहित्यकार संघ द्वारा वर्षों की गरिमामायी परम्परानुसार हिन्दी गजल सम्राट स्वः दुष्यन्त कुमार त्यागी की 42वीं पुण्यतिथि के अवसर पर संघ के संस्थापक अध्यक्ष हरिकांत शर्मा के मौहल्ला खातियान स्थित आवास पर 29 दिसम्बर की देर शाम विचार एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कवियों एवं शायरों ने देश भक्ति से ओतप्रोत रचनाओं के माध्यम से शहीदों को नमन किया।  अजय पाल शर्मा गुरू जी ने कहा कि-‘‘ अपने घर में अपना दम घुटने लगा कुछ कीजिये, अपने घर की खिड़की खोले तो खोले किस तरह। राजेंद्र चमोली ने कहा कि तुम सुनकर करोगें क्या दास्ताने दिल, और तुम्हारे सिवा दास्ताने दिल। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आर.एस.एम. कालेज धामपुर के पूर्व रीडर व विभागाध्यक्ष हिन्दी विभाग डा. शंकर लाल शर्मा क्षेम ने कहा स्वः दुष्यन्त कुमार त्यागी की कविता जा तेरे स्वप्न बड़े हों। भावना की गोद से उतर कर, जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें। चाँद तारों सी अप्राप्य ऊचाँइयों के लिये, रूठना मचलना सीखें। हँसें मुस्कुराऐं गाऐं। हर दीये की रोशनी देखकर ललचायें, उँगली जलायें सुनाई। उन्होंने कहा कि स्वः दुष्यन्त कुमार त्यागी सचमुच ही एक साहित्यकार थे। स्वधर्म से अच्छी तरह वाकिफ, जिसे उन्होंने निभाया भी है। उनका प्रदेय साहित्य जगत् में अमर रहेगा।

    कार्यक्रम संयोजक हरिकांत शर्मा ने बताया कि हिन्दी गजल सम्राट स्वः दुष्यन्त कुमार त्यागी का जन्म 01 सितम्बर 1933ई. में  उत्तर प्रदेश में बिजनौर जनपद की तहसील नजीबाबाद के ग्राम राजपुर नवादा में हुआ था। जिस समय दुष्यंत कुमार ने साहित्य की दुनिया में अपने कदम रखे उस समय भोपाल के दो प्रगतिशील शायरों ताज भोपाली तथा कैफ भोपाली का गजलों की दुनिया पर राज था। उन्होने बताया कि ष्यंत कुमार ने सिर्फ 42 वर्ष के जीवन में अपार ख्याति हासिल की लेकिन 30 दिसम्बर 1975 को भोपाल में उनकी मृत्यु हो गयी। लेकिन इतनी कम उम्र में भी उन्होंने हिंदी और उर्दू साहित्य में महान उपलब्धियाँ हासिल की है। उन्ही की वजह से गजल को प्रसिद्धि मिली। वर्तमान में उनके शेरो और गजलों को भी साहित्य और राजनितिक कार्यक्रमों से जोड़ा जाता है। स्वः दुष्यन्त कुमार त्यागी ने रचनाएं, प्रमुख कविताए लिखी थी। जैसे रचना एक कंठ विषपायी (काव्य नाटक), सूर्य का स्वागत, आवाजो के घेरे, जलते हुए वन का बंसत लिखी थी ओर कविता कहॉ तो तय था, कैसे मंजर, खंडहर बचे हुए है, जो शहतीर है, जिंदगानी का कोई, ‘मकसद’, आज सड़कों पर लिखे हैं, मत कहो आकाश में, धूप के पॉव लिखी है। 

   इस अवसर पर केशवकांत शर्मा, इन्दुकांत शर्मा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता श्रीकांत शर्मा टोनी, विभूतिकांत शर्मा, डा. सांरगादेश असीम, डा. पूनम चौहान, अजय पाल शर्मा गुरू जी, राजेंद्र चमोली, नरेश वर्मा, बाबू सिंह निराला आदि ने अपने काव्य प्रस्तुति के जरिए अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर राम सिंह सुमन, डा. सुरेंद्र सिंह राजपूत, अल्पना जैन, डा. भूपेंद्र आदि रहे। गोष्ठी के अन्त में संयोजक हरिकांत शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया।       

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