रिपोर्ट - बृजघाट पश्चिमी से जिला प्रभारी अमरोहा घनश्याम शर्मा।
बृजघाट पश्चिमी तट पर स्थित श्री ओमकार राजेश्वर स्वामी विद्यापीठ इंटर कॉलेज बृजघाट में सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया गया। विद्यालय की प्रधानाचार्य महोदय ने बच्चों को संबोधित करते हुए बताया कि भारत में वर्ष 2014 में पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया। तत्पश्चात प्रधानाचार्या ने कार्यालय प्रबंधक सुबोध कुमार चौहान जी से को छात्रों को विषय में अधिक बताने का अनुरोध किया। सुबोध कुमार चौहान इस दिवस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत की गणना विश्व के सबसे बड़े देशों में से एक के रूप में की जाती है जो कि पूरे विश्व में दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, जहाँ 1652 के आसपास भाषाऍ और क्षेत्रीय बोलियाँ बोली जाती है। यह देश दुनिया के सभी प्रमुख धर्मों को जैसे हिंदू, बौद्ध, ईसाई, जैन, इस्लाम, सिख और पारसी व विभिन्न संस्कृति, खानपान की आदतों, परंपराओं, पोशाकों और सामाजिक रीति-रिवाजों को स्वयं में समेटे है और अनेकता में एकता का परिचायक है। विभिन्न प्रांतो की जलवायु में काफी अन्तर के साथ एक विविधतापूर्ण देश है। देश में तमाम भिन्नता होने के बाद भी, इसका प्रत्येक भाग एक ही संविधान द्वारा बहुत शांति के साथ नियंत्रित है।
उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद क़रीब पाँच सौ से भी ज़्यादा देसी रियासतों का एकीकरण करना सबसे बड़ी समस्या थी। 5 जुलाई 1947 को सरदार पटेल ने रियासतों के प्रति नीति को स्पष्ट करते हुए कहा कि रियासतों को तीन विषयों – सुरक्ष, विदेश तथा संचार व्यवस्था के आधार पर भारतीय संघ में शामिल किया जाएगा। धीरे धीरे बहुत सी देसी रियासतों के शासक भोपाल के नवाब से अलग हो गये। भारत के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारतीय संघ में उन रियासतों का विलय किया था जो स्वयं में संप्रभुता प्राप्त थीं। उनका अलग झंडा और अलग शासक था। सरदार पटेल ने आज़ादी के ठीक पूर्व (संक्रमण काल में) ही पी.वी. मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था। पटेल और मेनन ने देसी राजाओं को बहुत समझाया । रजवाड़ों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। 15 अगस्त 1947 तक हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ को छोड़कर शेष भारतीय रियासतें ‘भारत संघ’ में सम्मिलित हो गयीं। जूनागढ़ के नवाब का जब बहुत विरोध हुआ तो वह भागकर पाकिस्तान चला गया और जूनागढ़ भी भारत में मिल गया। जब हैदराबाद के निजाम ने भारत में विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तो सरदार पटेल ने वहाँ सेना भेजकर निजाम का आत्मसमर्पण करा लिया।एकता में सबसे बड़ा बाधक स्वहित हैं आज के समय में स्वहित ही सर्वोपरि हो गया है। आज जब देश आजाद हैं आत्म निर्भर हैं तो वैचारिक मतभेद उसके विकास में बेड़ियाँ बनी पड़ी हैं। देश में एकता के स्वर को सबसे ज्यादा बुलंद स्वतंत्रता सेनानी लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने किया था। वे उस सदी में आज के युवा जैसी नयी सोच के व्यक्ति थे। वे सदैव देश को एकता का संदेश देते थे। उन्हीं को श्रद्धांजलि देने हेतु उनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस मौके पर विद्यालय में उपस्थित सभी छात्र-छात्राओं एवं विद्यालय के अध्यापकों ने राष्ट्रीय एकता की शपथ ले एक दूसरे को सहयोग देने की प्रतिज्ञा की इस मौके पर विद्यालय में समस्त अध्यापक गण उपस्थित रहे जिनमें आलोक बंसल, सुबोध कुमार चौहान, बृजपाल सिंह, शिव कुमार गर्ग, अंशु गोयल, श्रीमती ललिता बहन, नीलम शर्मा, घनश्याम सारस्वत, पुष्पेंद्र यादव, पूनम सैनी, गौरव कुमार सिंह, पूजा यादव, अर्चना यादव, मोनिका गोयल, अमिता गर्ग व छात्र-छात्राओं के अभिभावक उपस्थित रहे.