रिपोर्ट - गजरौला /जिला अमरोहा से जिला प्रभारी घनश्याम शर्मा।
सलेमपुर गोसाई में फैले बुखार से किरकिरी होती देख स्वास्थ्य विभाग ने गांव के उन झोलाछापों पर शिकंजा कसना चालू कर दिया है, जिनके परामर्श पर गांव के मरीज मेरठ समेत दूसरे जिलों के अस्पतालों में बुखार का इलाज करा रहे हैं। इसी क्रम में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में छापेमारी कर कई झोलाछापों को बिना पंजीकरण चिकित्सीय कार्य करते पकड़ा। वहीं अवैध रूप से चल रहे आठ क्लीनिकों को सील भी कर दिया है। इनके संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी की जा रही है। इससे खलबली मच गई।
नोडल अधिकारी डॉ. सुरेंद्र सिंह ने गांव में अचानक छापेमारी कर झोलाछापों के यहां भर्ती बुखार पीड़ितों को दी जा रही दवा को देखा तो होश उड़ गए। आरोप है कि वह मरीजों को उल्टी-सीधी दवा देकर खानापूर्ति कर रहे थे। इसी कारण गांव में बुखार का प्रकोप कम होने के बजाए बढ़ रहा है। इस पर विभाग ने ऐसे अपंजीकृत आठ क्लीनिकों को सील कर दिया। वहीं संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी की जा रही है। नोडल अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि गांव में संचालित झोलाछाप के क्लीनिकों का पंजीकरण विभागीय रिकार्ड में नहीं है। उन्हें सील कर दिया गया है। जल्द ही उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा।
सवाल यह भी है कि जब पंजीकरण नहीं है तो अभी तक यह विभाग की नजर में क्यों नहीं आए। बुखार को लेकर शोर मचने पर ही कार्रवाई क्यों की गई? मेरठ व अन्य स्थानों पर उपचार कराने वाले अधिकांश बुखार पीड़ित इन झोलाछापों के परामर्श पर ही गए।