श्री नारायण सेवा समिति (रजि.), चंदौसी के तत्वावधान में आज मंगलवार को "विश्व पृथ्वी दिवस" के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन गणेश कॉलोनी स्थित समिति के उपाध्यक्ष विपिन बाबू वार्ष्णेय के आवास पर किया गया। इस विचार गोष्ठी में उपस्थित रहे वक्ताओं ने पर्यावरण संरक्षण, ग्लोबल वार्मिंग, जल संकट, प्रदूषण आदि बिंदुओं पर अपने विचार प्रकट किए।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए समिति के संरक्षक के. जी. गुप्ता ने कहा कि वार्षिक आयोजन के रूप में पृथ्वी दिवस का आरम्भ अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन ने 1970 में किया था। मुख्य वक्ता डॉ. टी. एस. पाल ने कहा कि पृथ्वी दिवस का उद्देश्य पर्यावरणीय चेतना का विकास और धरातलीय अपभ्रंश का बचाव करना ही रहा है। हरीश कठेरिया एडवोकेट ने बताया कि समिति का अधिकाधिक प्रयास पर्यावरण संरक्षण, हरित पट्टी निर्माण तथा जल स्रोतों की रक्षा करना रहता है। समिति की प्रेरणा से डी.के. अग्निहोत्री ने कहा कि वर्ष 2025 के पृथ्वी दिवस की थीम आवर पावर, आवर अर्थ' है जिसका अर्थ क्षय होने वाले अन्य स्रोतों को दोबारा इस्तेमाल करने के स्रोतों में बदलना है। विपिन बाबू वार्ष्णेय ने कहा कि पृथ्वी को हानिकारक कार्बन उत्सर्जन से बचने के लिए अब यह जरूरी है कि है हम ऊर्जा के अन्य विकल्पों को अपनाएं। मुनीश वार्ष्णेय ने कहा कि जनसंख्या की बेतहाशा वृद्धि और ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु परिवर्तन तथा ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्री जलस्तर में लगातार वृद्धि होती जा रही है। डॉ. आशीष यादव ने कहा कि पृथ्वी को गतिमान एवं हरा भरा बनाए रखने के लिए अधिक वृक्षारोपण व उनका संरक्षण, ऊर्जा बचत प्लास्टिक का बहिष्कार जल बचत व प्रदूषण नियंत्रण आवश्यक है। विपिन गुप्ता ने कहा कि पृथ्वी हमारी जननी है, हमें उसकी रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए। डॉ. जयशंकर दुबे ने अपनी काव्यात्मक शैली में पृथ्वी माता का गुणगान किया।
विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण, जल बचत, कार्बन उत्सर्जन से बचाव एवं हरित पट्टी हेतु सभी लोगों को शपथ दिलाई गई। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता के.जी. गुप्ता ने तथा संचालन हरीश कठेरिया ने किया।