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सोमवार, अप्रैल 02, 2018

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बिजनौर - दलितों के उग्र आन्दोलन के चलते उजड़ा विमला का सुहाग


रिपोर्ट - बिजनौर/उत्तर प्रदेश  (निपेन्द्र)

आज दलितों के उग्र आन्दोलन की कीमत एक ग्रामीण महिला को अपने पति की जान देकर चुकानी पड़ी। बिजनौर में शास्त्री चौक पर लगाये गये जाम मे फॅसकर एक वृद्व एवं बीमार को अस्पताल पहुॅचने में देरी हो गयी और जब वह अस्पताल पहुॅचा तो उसकी सॉसे थम चुकी थी।

सोमवार को माननीय सुप्रीम कोेर्ट के द्वारा एससी-एसटी एक्ट पर दी गयी एक नयी रूलिंग के खिलाफ दलित संगठनो ने भारत बन्द का आहवान किया था। इस आन्दोलन के चलते बिजनौर जिला मुख्यालय पर भी व्यवस्था अस्त व्यस्त हो गयी क्योंकि इस आन्दोलन ने उग्र रूप धारण कर लिया था। शास्त्री चौक पर जमा भीड़ ने जाम लगा दिया। जाम इतना भीषण था कि राहगीरों को निकलने के लिये घन्टो मशक्कत करनी पड़ी। इस आन्दोलन के चलते आम जन में भय व्यापत हो गया था। यही जाम बरूकी निवासी लोकमण का जीवन भी लील गया।

शास्त्री चौक जिसे शक्ति चौक भी कहा जाता है पर दलित संगठनो द्वारा सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग का विरोध जताने के लिये जाम लगाया गया था। इस जाम में कई एम्बूलेन्स भी फॅसी थी। एक एम्बूलेन्स मे लोकमण भी गम्भीर हालत में था। 65 वर्षीय लोकमण पिछले कई दिनों से बीमार चल रहा था। पेट दर्द की शिकायत के चलते लोकमण का सरकारी अस्पताल मे भर्ती कराया गया था। दो दिन पहले उसे छुटटी देकर घर भेज दिया गया था। आज अचानक तबियत बिगड़ने पर चिकित्सकों ने लोकमण को मेरठ ले जाने की सलाह दी थी। लोकमण के परिजनों ने उसे बिजनौर के ही निजी अस्पताल मे भर्ती कराने के बारे मे बात भी कर ली थी। परिजन उसको एम्बूलेन्स से बिजनौर पहुॅच भी गये थे। परन्तु नियति को कुछ और ही मंजूर था। जैसे ही एम्बूलेन्स शास्त्री चौक पर पहुॅची, दलित संगठनों के उग्र आन्दोलन के चलते लगाये गये जाम में फॅस गयी। जाम के चलते एम्बूलेन्स दो घन्टे तक जहॉ की तहॉ फॅसी रही। लोकमण की बिगड़ती हालत देखकर उनके बेटे राजू से रहा नही गया और वह अपने पिता को कन्धे पर लादकर पैदल ही अस्पताल की ओर चल पड़ा। परिजनों का आरोप है कि चौक पर एकत्र हुई भीड़ ने राजू को धक्का देकर गिरा दिया। किसी प्रकार भीड़ के आक्रोश से बचकर परिजन लोकमण को लेकर अस्पताल पहुॅचे, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। अस्पताल पहुॅचने पर लोकमण को मृत घोषित कर दिया गया। दुखद परिजन बिना किसी कार्यवाही के लोकमण का शव अपने साथ ले गये। लोकमण की पत्नी विमला देवी ने कहा कि यदि आज यह आन्दोलन उग्र रूप न धारण किये होता, यह जाम न लगा होता तो मेरे पति जिन्दा होते। विमला देवी ने कहा कि कुछ लोगों की अराजकता ने मेरा सुहाग छीन लिया।    

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