मुंबई: शिवसेना की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने बीते बुधवार को केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए बयान दिया है. उन्होंने कहा, ''किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) संशोधन विधेयक विपक्ष की राय सुने बिना संसद में पारित हो गया, यह न्याय विरोधी कदम है.'' एक जानी-मानी वेबसाइट से बात करते हुए उन्होंने कहा, ''जिस तरह से किशोर न्याय विधेयक आज राज्यसभा में बिना विपक्ष के सदस्यों की राय सुने पारित हो गया, जो सरकार के अहंकार को दर्शाता है। ये संशोधन न्याय विरोधी हैं, यह बच्चों के खिलाफ काम है। जेजेबी संशोधन विधेयक उन चुनौतियों से अनजान है जिसमें किशोर आश्रय गृहों में रह रहे हैं।''
साथ ही उन्होंने कहा, ''यह दिखाता है कि सरकार कितनी बेशर्मी से सत्ता के केंद्रीकरण पर ध्यान दे रही है.'' उन्होंने कहा कि बिल जिला मजिस्ट्रेटों को अदालत के बजाय एक बच्चे के भाग्य का फैसला करने का अधिकार देता है. उन्होंने आगे कहा, ''वह ( डीएम) न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता के बिना आश्रय गृहों, अनुपालन, गोद लेने पर निर्णय लेने वाला एकमात्र व्यापक अधिकारी होगा। इस तरह का बुलडोजर चलाना सरकार के बेरहम अहंकार को दर्शाता है।''
आप सभी को बता दें कि उनकी टिप्पणी जेजेबी विधेयक के बाद आई है, जिसे पहले ही लोकसभा ने पारित कर दिया है और अब राज्यसभा में पारित हो गया है।
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