AD BANNER

बुधवार, जुलाई 27, 2022

thumbnail

Court विधि आयोग को 'वैधानिक संस्था’ बनाने का आग्रह करने वाली याचिका पर सुनवाई को सहमत हुआ

नयी दिल्ली | उच्चतम न्यायालय विधि आयोग को 'वैधानिक संस्था घोषित करने का केंद्र को निर्देश देने और इसके अध्यक्ष एवं सदस्यों को नियुक्त करने का आग्रह करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने के लिए बुधवार को सहमत हो गया। यह याचिका 2020में दायर की गई थी। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने वकील और याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से आयोग में रिक्तयों को लेकर दी गई दलीलों का संज्ञान लिया।

वकील ने कहा कि 21वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त 2018 को खत्म हो गया और इसके बाद केंद्र सरकार ने न तो उसके अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल बढ़ाया है और न ही 22वें विधि आयोग की अधिसूचना जारी की है। उन्होंने कहा कि मामले में पहले नोटिस जारी किए गए थे।पीठ ने कहा, “ हम मामले को सूचीबद्ध करेंगे।”जनहित याचिका को लेकर दायर किए गए जवाब में विधि एवं न्याय मंत्रालय ने दिसंबर 2021 में कहा था कि विधि आयोग को वैधानिक संस्था बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। मंत्रालय ने कहा था, “ 22वां विधि आयोग 21 फरवरी 2020को गठित किया गया है और इसके अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्त संबंधित अधिकारियों के समक्ष विचाराधीन है।”

मंत्रालय ने यह भी कहा था कि उपाध्याय की ओर से दायर याचिका गंभीरता से विचार नहीं करने वाली है और सुनवाई योग्य नहीं हैं, क्योंकि इसमें कोई तथ्य नहीं है।याचिका में गृह मंत्रालय और विधि एवं न्याय मंत्रालय को पक्षकार बनाया था।उपाध्याय ने राजनीतिक नेताओं और अपराधियों के बीच कथित सांठगांठ पर वोहरा आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई का आग्रह करने वाले उनके निवेदन पर भी विचार करने की गुजारिश की है।

जनहित याचिका में विधि आयोग से उस याचिका पर कार्रवाई की मांग की गई है जिसमें काले धन, बेनामी संपत्ति, आय से अधिक संपत्ति की 100फीसदी जब्ती और 'लूटेरों को उम्र कैद देने की गुजारिश की गई है।इसमें कहा गया है कि विधि आयोग में एक सितंबर 2018 से कोई भी अध्यक्ष नहीं है जिस वजह से वह जनता से जुड़े मुद्दों का परीक्षण करने में असमर्थ है।

Subscribe by Email

Follow Updates Articles from This Blog via Email

No Comments