केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को दावा किया कि अग्निपथ योजना के खिलाफ 'विरोध' के कारण भारतीय रेलवे को 259.44 करोड़ रुपये का चौंका देने वाला नुकसान हुआ है। उन्होंने संसद के उच्च सदन में यह खुलासा किया। इस साल 14 जून को भारत सरकार ने तीनों सशस्त्र बलों के प्रमुखों के साथ मिलकर अग्निपथ योजना शुरू की।योजना के तहत 17.5 से 21 वर्ष की आयु के बीच के युवाओं को चार साल की अवधि के लिए भर्ती किया जाएगा। जबकि 25% सशस्त्र बलों में रहेंगे, शेष अग्निवीरों को 11 लाख रुपये का वजीफा और रक्षा मंत्रालय, पुलिस बलों और अर्धसैनिक सेवाओं में तरजीही रोजगार मिलेगा।
सशस्त्र बलों के सैकड़ों उम्मीदवार 'शांतिपूर्ण विरोध' और प्रदर्शनों के लिए सड़कों पर उतर आए। सरकारी योजना का विरोध करते हुए उन्होंने सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर दिया और ट्रेनों को जला दिया। कई भारतीय राज्यों में जीवन को रोक दिया।दक्षिणी राज्य तेलंगाना में अग्निपथ भर्ती योजना से असंतुष्ट छात्रों ने सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन में तोड़फोड़ की और एक ट्रेन में आग लगा दी।हरियाणा के नरवाना कस्बे के जींद जिले में सशस्त्र बलों के उम्मीदवारों ने रेलवे ट्रैक को भी बाधित कर दिया। वे ट्रेन की आवाजाही में बाधा डालते और तिरंगा फहराकर रेल की पटरियों पर खड़े नजर आए।
ऐसा ही नजारा मध्य प्रदेश के ग्वालियर में देखने को मिला। हिंसक प्रदर्शनकारियों को चेहरे ढके हुए एक रेलवे स्टेशन में तोड़फोड़ करते और रेलवे पटरियों पर सामान फेंकते देखा गया।उत्तर प्रदेश में, उम्मीदवारों की हिंसक भीड़ ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर रोडवे बसों की विंडस्क्रीन तोड़ दी। उन्होंने विरोध के दौरान बलिया में एक ट्रेन को भी आग के हवाले कर दिया।रेल मंत्री ने यह भी बताया कि देश भर में अग्निपथ विरोध के कारण 2000 से अधिक ट्रेनें प्रभावित हुईं। राज्यसभा में एक लिखित जवाब में उन्होंने कहा कि 15 जून से 23 जून के बीच 2132 ट्रेनें रद्द की गईं।
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