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मौके पर पहुंचे अधिकारी व ग्रामीणों की भीड़, इनसेट में मृतक अध्यापक की फाइल फोटो |
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से बछरांयू थाना क्षेत्र के जमानाबाद गाँव के निवासी संजीव कुमार पुत्र रुमाल सिंह ने वर्ष 2011 में सहायक अध्यापक के पद से नौकरी शुरू की थी। इस समय संजीव कुमार गजरौला थाना क्षेत्र के सुल्तानपुर ठेर के कम्पोजिट विद्यालय में प्रधानाध्यापक पद पर कार्यरत थे। संजीव कुमार के अतिरिक्त इस विद्यालय में 2 शिक्षा मित्र, 1 अनुदेशक समेत 12 शिक्षक तैनात है। आज मंगलवार की सुबह स्कूल 9 बजे से शुरू होना था मगर संजीव कुमार 7 बजे ही स्कूल पहुँच गए। संजीव कुमार आयु 50 वर्ष ने अपने कक्ष में जाकर मेज पर खड़े होकर छत के कुंडे में प्लास्टिक की रस्सी बाँधी और फंदे पर झूल गए। इस दौरान कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था। लगभग साढ़े 8 बजे अध्यापक प्रदीप सिरोही के स्कूल पहुंचने पर उन्होंने संजीव कुमार को फांसी एक फंदे पर लटका हुआ पाया। उन्होंने इस मामले की सूचना तुरंत ग्राम प्रधान को दी। इसके बाद मौके पर लोगो की भीड़ जुट गयी। स्कूल में अध्यापक द्वारा आत्महत्या किये जाने की सूचना मिलने पर पुलिस के साथ ही अन्य प्रशासनिक उच्च अधिकारी भी मौके पर पहुँच गए।
पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट मिला। इस सुसाइड नोट में संजीव कुमार ने लिखा है कि मैं सहायक अध्यापक राघवेंद्र सिंह, उनकी पत्नी सरिता सिंह और बीएसए से दुखी होकर आत्महत्या कर रहा हूं। राघवेंद्र और सरिता दोनों गाली-गलौज करते हैं। उनकी यातनाओं से तो मरना अच्छा है। मैं इनकी दंबगई 2 अप्रैल, 2019 से झेल रहा हूं। मैं इनकी जांच CBI से करवाना चाहता हूं। मेरी अधिकारियों से हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि जांचकर्ता मुरादाबाद मंडल का न हो, क्योंकि इनकी दंबगई पूरे मंडल में चलती है। प्रताड़ना की सारी दास्तान सुसाइड रजिस्टर में लिखी है, जो 18 पेज का है। जब तक जिलाधिकारी व बीएसए न आए, तब तक मेरी बॉडी को छुना नहीं। मेरे पास स्कूल का कोई सामान नहीं है। दोनों टैबलेट नई वाली सेफ में रखे हैं। मेरे बाद परिमा शर्मा को स्कूल का इंचार्ज बनाना है। वही सबसे वरिष्ठ अध्यापिका हैं।
मृतक के पुत्र अनुज सिंह के अनुसार स्कूल के अध्यापक उसके पिता को प्रताड़ित करते थे। हर रोज लड़ाई करते थे। उसके पिता आज सुबह 7 बजे घर से निकले थे। पिता का शव फांसी के फंदे पर लटका देख अन्य अध्यापको ने मुझे सूचना दी। अनुज के अनुसार उसके पिता ने वॉट्सऐप पर एक मैसेज भेजा था, लेकिन उसने देखने से पहले डिलीट कर दिया था। कल रात से वह परेशान दिख रहे थे। हमने उसने पूछा भी, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं बताया। अनुज ने बताया की उसके पिता वर्ष 2015 में स्कूल के प्रधानाध्यापक बने थे। उसी गांव एक प्राथमिक स्कूल है, जिसका प्रधानाध्यापक राघवेंद्र सिंह था। वर्ष 2019 में इन दोनों स्कूलों का विलय कर पूरे स्कूल का प्रिंसिपल उसके पिता को बना दिया गया था। इसके बाद से ही राघवेंद्र और उसके पिता में विवाद चल रहा था। राघवेंद्र सिंह के बीएसए मोनिका सिंह से अच्छे संबंध है, इसलिए वह पापा पर दबाव बनाता था। पापा ट्रांसफर के लिए कई बार लेटर लिख चुके थे।
उक्त प्रकरण में जिलाधिकारी अमरोहा निधि गुप्ता वत्स ने बताया कि सुसाइड नोट में उसी स्कूल के दो अध्यापक और बीएसए का जिक्र किया है। क्या कारण रहे, जो मुख्याध्यापक को यह कदम उठाना पड़ा। जांच के बाद स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। मामले की जांच हेतु जिला स्तर से एडीएम न्यायिक की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी में सीडीओ, डीआईओएस व एएसपी शामिल है।
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