जयपुर, 28 जुलाई (आईएएनएस)। राजस्थान बसपा के कांग्रेस में विलय के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा भाजपा विधायक मदनलाल दिलावर की याचिका खारिज करने के एक दिन बाद मंगलवार को उन्होंने हाईकोर्ट में दूसरी याचिका दायर की।
दिलावर ने राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष के 24 जुलाई के फैसले को चुनौती दी है, जिसमें दलबदल विरोधी कानून के तहत बसपा विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग वाली उनकी याचिका खारिज कर दी गई।
दिलावर ने अपनी पहली याचिका में आरोप लगाया था कि बसपा विधायकों के दलबदल के संबंध में मार्च में उनकी शिकायत के बावजूद अध्यक्ष सी.पी. जोशी द्वारा पिछले कई महीनों में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
सितंबर 2019 में बसपा के छह विधायक संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेड़िया, लखन मीणा, राजेंद्र गुढ़ा और जोगिंदर सिंह अवाना कांग्रेस में शामिल हो गए थे और हाल ही में राज्यसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने कांग्रेस का समर्थन किया था।
दिलावर ने इस साल मार्च में विधानसभा अध्यक्ष को इस संदर्भ में एक शिकायत सौंपी थी, जिस पर 24 जुलाई तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया था।
सोमवार दोपहर के करीब, दिलावर ने विधानसभा सचिव पी. के.माथुर के कार्यालय के बाहर धरना दिया। दिलावर ने बाद में कहा, सचिव ने मुझे बताया कि मेरी याचिका खारिज कर दी गई। उन्होंने मुझे बताया कि ईमेल पर एक विस्तृत आदेश प्रदान किया जाएगा। मैं इसका इंतजार कर रहा हूं।
इस बीच, न्यायमूर्ति महेंद्र कुमार गोयल की एकल पीठ ने सोमवार को दिलावर की याचिका को खारिज कर दिया। एडिशनल अटॉर्नी जनरल आर.पी.सिंह ने कोर्ट को बताया कि विधानसभा अध्यक्ष शिकायत पर पहले ही 24 जुलाई को फैसला कर चुके हैं, जिसके बाद कोर्ट ने दिलावर की याचिका खारिज कर दी। वकील हरीश साल्वे ने दिलावर की ओर से पैरवी की।
आईएएनएस से बातचीत में दिलावर ने कहा, हमने अदालत में नई याचिका दायर की है कि यह विलय गलत है। स्पीकर ने 130 दिनों के बाद भी मेरी याचिका का संज्ञान नहीं लिया। हालांकि, कांग्रेस द्वारा महेश जोशी के व्हिप के संबंध में उन्होंने तुरंत कदम उठाया, जिन्होंने 19 बागी विधायकों के खिलाफ शिकायत की थी। मैंने 18 जुलाई को विनम्रतापूर्वक स्पीकर से अपनी याचिका पर संज्ञान लेने का आग्रह किया था। हालांकि, मुझे अपना पक्ष रखने की अनुमति दिए बिना, मेरी याचिका उनके द्वारा खारिज कर दी गई।
उन्होंने कहा, जब मैं आदेश की प्रति मांगता रहा, यह मुझे नहीं दी गई, लेकिन सीधे हाईकोर्ट में पेश की गई और उसी आधार पर, कोर्ट में मेरी याचिका खारिज कर दी गई।
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