जारई रोड स्थित वी आर सन सिटी मे आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए अध्यक्ष सुभाष चंद्र वार्ष्णेय ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1886 से हुई जब अमेरिकी मजदूर यूनियनों ने काम का समय 8 घंटे रखने की अपील हड़ताल करके की। विपिन गुप्ता ने कहा कि मजदूर दिवस हर साल 1 मई को श्रमिकों के योगदान और उनके संघर्षों को याद करने और उन्हें सम्मान देने के लिए मनाया जाता है । श्यामसिंह ने कहा कि किसी भी देश, समाज, संस्था और उद्योग में मजदूरों, कामगारों और मेहनतकशों की अहम भूमिका होती है । हरीश कठेरिया 'एडवोकेट' ने कहा कि मजदूरों की बड़ी संख्या निर्माण कार्य की कामयाबी के लिए हाथों, अक्ल - इल्म और तनदेही के साथ जुड़ी होती है। के. जी. गुप्ता ने कहा कि किसी भी उद्योग की सफलता के लिए मालिक, सरमाया, कामगार और सरकार अहम धडे होते हैं। डॉ. जयशंकर दुबे ने कहा कि सच तो यह है कि कामगारों के बिना कोई भी औद्योगिक ढांचा खड़ा ही नहीं हो सकता।
सचिन शर्मा एडवोकेट ने कहा कि भारत में मई दिवस सर्वप्रथम चेन्नई में 1 मई 1923 को मद्रास दिवस के नाम से मनाना शुरू किया गया था । जितेंद्र यादव ने कहा कि मजदूरों के योगदान का सम्मान करने, उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता जगाना और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाने हेतु मनाया जाता है।
कार्यक्रमों के अंत में सभी मजदूरों के कल्याण की कामना करते हुए उन्हें जलपान कराया गया और उनके अधिकारों की जानकारी दी गई। कार्यक्रम कि अध्यक्षता सुभाष वार्ष्णेय ने की और संचालन डॉ. जयशंकर दुबे ने किया. इस अवसर पर ठेकेदार ब्रजेश के साथ श्रमिक धर्मेंद्र, भुवनेश, मुजाहिद, तेजपाल, मनोज आदि उपस्थित रहे। हरिओम, शाहिद, हरकेश ने व्यवस्थाओं में सहयोग किया ।
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