उत्तर प्रदेश के जिला रामपुर से आमजन को मिलने वाली सरकारी चिकित्सा सुविधाओ की पोल खोल देने वाला एक मामला प्रकाश मे आया है। यहाँ एक माँ गंभीर समस्या से जूझ रही अपनी 11 माह की पुत्री को लेकर गत 9 माह से सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों के चक्कर काट रही है। इस सबके बाद भी अभी किसी स्तर से कोई राहत अथवा आश्वासन नही मिल सका है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सिविल लाइन थाना क्षेत्र के शक्तिपुरम कॉलोनी निवासी वजाहत अहमद की 11 माह की पुत्री एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त है। परिजनों ने बताया कि वजाहत की पुत्री हुमना जब दो माह की थी टीकाकरण कराया गया था। आंगनबाड़ी केंद्र कराये गए इस टीकाकरण के दौरान एक टीका हुमना के बांये पैर में घुटने से ऊपर लगाया गया था। ये टीका एएनएम सुनीता शर्मा द्वारा लगाया गया था। ये टीका लगने के कुछ दिनों बाद बच्ची के पैर मे हल्की गाँठ बन गयी थी। परिजनों का कहना है कि उन्होंने इस बारे मे आंगनबाड़ी केंद्र कार्यकर्ता को सूचित किया था मगर कोई जांच के लिए नही आया। इसके बाद फोन पर जानकारी दी गयी और एक ट्यूब गाँठ वाले स्थान पर लगाने को बताया गया। इसके अतिरिक्त किसी प्रकार की कोई सुविधा सरकारी तंत्र से उन्हे नही मिल सकी है।
परिजनों का कहना है कि गाँठ बढ़ने पर बच्ची को निजी अस्पताल मे दिखाया गया। जहाँ चिकित्सको ने बताया कि टीका गलत स्थान पर लगाने के चलते ये गाँठ बन गयी है। ये मामला सीएमओ तक पहुंचा और 26 जून 2025 को सर्जन डा0 आरिफ रसूल ने भी जांच की। डा0 आरिफ रसूल ने सरकारी अस्पताल मे अल्ट्रसाउंड की सुविधा न होने का हवाला देते हुए उन्हें निजी अस्पताल भेज दिया। वहां अल्ट्रासॉउन्ड रिपोर्ट मे न ही गाँठ का आकार और न ही कोई अन्य विवरण बताया गया। अल्ट्रासॉउन्ड की भी कोई रिपोर्ट परिजनो को नही दी गयी और चिकित्सक ने सीधे ऑपरेशन करने की बात कही।
बच्ची के पिता वजाहत अहमद ने उसका उपचार सरकारी अस्पताल मे कराने का प्रयास किया। इसके बाद बच्ची को दो दिन तक सरकारी अस्पताल मे भर्ती रखा गया मगर कोई उसे देखने भी नही आया। वजाहत अहमद व उसके परिजनो का कहना है कि आर्थिक तंगी के चलते वे निजी अस्पताल मे उपचार कराने मे असमर्थ है और सरकारी तंत्र से कोई ठोस मदद उन्हें नहीं मिल पा रही है।
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