भारतीय इंजीनियर सोहम पारेख, जो एक साथ कई स्टार्टअप्स में काम करने के आरोपों के कारण इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बने हुए हैं, ने आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ी है। एक ताज़ा इंटरव्यू में पारेख ने स्वीकार किया है कि वे वाकई में कई कंपनियों में एक साथ काम कर रहे थे, लेकिन उनका इरादा किसी को धोखा देने का नहीं था।
यह बयान तब आया है जब मिक्सपैनल (Mixpanel) के को-फाउंडर सुहैल दोषी ने एक ट्वीट के जरिए पारेख पर स्कैम करने का आरोप लगाया था, जिसके बाद यह मुद्दा इंटरनेट पर वायरल हो गया।
“गलत किया, लेकिन नीयत गलत नहीं थी”
TBPN चैनल को दिए इंटरव्यू में जब उनसे सीधे पूछा गया – क्या आपने एक साथ कई कंपनियों में जॉब की? पारेख ने साफ कहा, "हां, ये सच है।" हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्हें इस पर गर्व नहीं है और वे इसे सही नहीं मानते।
पारेख ने अपनी इस स्थिति के पीछे की वजह वित्तीय समस्याओं को बताया। उन्होंने कहा:
“ईमानदारी से कहूं तो, मैं जो कर रहा था उस पर मुझे गर्व नहीं है। लेकिन यह मेरी मजबूरी थी। कोई भी व्यक्ति 140 घंटे सप्ताह में काम करना नहीं चाहता, पर मुझे करना पड़ा।”
कानून तोड़ा या loophole था?
इंटरव्यू के दौरान उनसे यह भी पूछा गया कि क्या वे अपनी कंपनियों के एग्रीमेंट की शर्तों का उल्लंघन कर रहे थे या उन्हें कोई लीगल लूपहोल मिला? इस पर उन्होंने कहा कि उन्होंने जानबूझकर कोई कानूनी उल्लंघन नहीं किया, लेकिन वे मानते हैं कि यह नैतिक रूप से ठीक नहीं था।
क्या उन्होंने दूसरों से काम करवाया?
सोशल मीडिया पर यह भी दावा किया गया कि पारेख ने एक पूरा सिस्टम खड़ा कर रखा था, जहां वे खुद को फ्रंट पर रखकर काम दूसरों से करवाते थे। लेकिन इस पर पारेख ने सख्त इनकार किया।
उन्होंने कहा,
“मैंने हर एक लाइन का कोड खुद लिखा है। किसी को हायर नहीं किया।”
मुंबई से अमेरिका तक का सफर
सोहम पारेख ने बताया कि वे मुंबई में जन्मे और 2020 में अमेरिका चले गए थे। उनका मूल प्लान 2018 में अमेरिका जाकर ग्रेजुएट स्कूल में दाखिला लेने का था, लेकिन आर्थिक संकट के कारण उन्हें वह योजना छोड़नी पड़ी।
उन्होंने कहा,
"मेरे पास कोई खास बैकअप नहीं था। बस खुद ही मेहनत करनी थी। इसलिए जब एक से ज्यादा मौके मिले, तो उन्हें छोड़ा नहीं।"
सोशल मीडिया पर बना बहस का मुद्दा
पारेख का मामला आजकल इंटरनेट पर सबसे ज्यादा चर्चा में है। कोई उन्हें हसलर और मेहनती टेक्नीशियन बता रहा है, तो कोई उन्हें धोखेबाज़ करार दे रहा है।
कुछ लोगों का मानना है कि कंपनियों को पारदर्शिता की उम्मीद होती है, और यह जिम्मेदारी कर्मचारियों की है कि वे अपने एम्प्लॉयर्स को पूरी जानकारी दें।
सोहम पारेख ने भले ही एक साथ कई स्टार्टअप्स में काम करने की बात स्वीकार कर ली है, लेकिन उनका कहना है कि यह सब मजबूरी और वित्तीय संकट के चलते हुआ। उन्होंने कोई स्कैम नहीं किया, और ना ही किसी को धोखा देने की नीयत से काम किया।
अब देखना यह है कि अमेरिका में इस तरह के मामलों पर टेक इंडस्ट्री और लॉ फर्म्स कैसे रुख अपनाती हैं, और क्या यह ट्रेंड बनता है या इससे कोई कड़ा संदेश निकलता है।