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शुक्रवार, सितंबर 14, 2018

बिजनौर - मोहित पेट्रोकेमिकल के डीजीएम पहुंचे सलाखों के पीछे, मालिक अभी गिरफ्त से बाहर

रिपोर्ट - बिजनौर/उत्तर प्रदेश से जिला प्रभारी विभोर कौशिक।

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 मोहित पेट्रो केमिकल्स के डीजीएम को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया। न्यायालय ने डीजीएम को सलाखों के पीछे भेज दिया। मामले में फैक्ट्री का मालिक पुलिस की पकड़ से दूर है।

मालिक की गिरफ्तारी नहीं होने को पुलिस प्रशासन का अभयदान माना जा रहा है। शुक्रवार को पुलिस ने डीजीएम सुरेश पंवार का चालान कर दिया गया। डीजीएम गुरुवार को रोडवेज बस स्टैंड के पास से पुलिस की पकड़ में आया था। गौरतलब है कि बुधवार को फैक्ट्री में मीथेन गैस के टैंक में जबरदस्त विस्फोट हो गया था। इसमें सात कर्मचारियों की मौत हो गई जबकि, तीन घायल हुए।

मृतकों  के परिजनों ने बिजनौर नगीना रोड भी जाम कर दी थी। विस्फोट के लिए फैक्ट्री प्रबंधन को पूरी तरह से लापरवाह माना गया। उधर अफसरों ने भी फैक्ट्री में तमाम कमियां निकलते हुए अनफिट तक बता दी थी। पुलिस ने मामले में फैक्ट्री के फैक्ट्री मालिक कुलदीप जैन और डीजीएम सुरेश पंवार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की।

हालांकि डीजीएम को गिरफ्तार करते हुए चालान कर दिया। कोर्ट ने डीजीएम को जेल भेज दिया है।उधर, फैक्ट्री मालिक की अभी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। सूत्रों की मानें तो गिरफ्तारी में किन्हीं कारणों से ढील दी जा रही है। अभी तक फैक्ट्री मालिक को पकड़ने के लिए उसके घर पर एक भी दबिश नहीं दी गई है।

प्रभारी निरीक्षक बिजेंद्र पाल राणा ने बताया कि डीजीएम को कोर्ट में पेश किया गया था। कोर्ट ने जेल भेज दिया है। फैक्ट्री मालिक को भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

इसे लापरवाही कहें या उदासीनता लेकिन, टैंक विस्फोट का एक कारण और भी निकलकर सामने आया है। दरअसल विस्फोट से दो दिन पहले टैंक के ढक्कन बंद कर दिए गए थे।

ढक्कन बंद होने से दो दिनों में टैंक के अंदर मीथेन गैस का प्रेशर बन गया। वेल्डिंग हुआ तो मीथेन गैस ने विस्फोट कर डाला। बुधवार को मोहित पेट्रोकैमिकल्स के बायो गैस प्लांट के टैंक में जबरदस्त विस्फोट हुआ, जिसमें सात कर्मचारियों की जान चली गई जबकि, तीन गंभीर रुप से घायल हो गए।

छह कर्मचारियों के शव सुबह ही मिल गए थे। वहीं सातवे के लिए प्रशासन को दस घंटे की मशक्कत करनी पड़ी। अब इस मामले की परत दर परत खुलने लगी है। कुछ कर्मचारियों ने बताया कि मरम्मत के लिए टैंक के ऊपर के ढक्कन खोल दिए गए थे, लेकिन विस्फोट होने से दो दिन पहले टैंक के ढक्कन बंद कर दिए गए थे। ये तो साफ नहीं हो पाया कि टैंक के ढक्कन क्यों बंद कराए गए।

फैक्ट्री के किसी अधिकारी ने ढक्कनों को बंद कराया था या किसी कर्मचारी की भूल रही। खैर कर्मचारियों का मानना है कि ढक्कन बंद होने के बाद ही मीथेन गैस का जबरदस्त प्रेशर टैंक के अंदर बनने लगा। ढक्कन खुले हुए थे तो गैस वातावरण में उड़ रही थी।

बंद होने पर टैंक के अंदर ही गैस बढ़ने लगी। बुधवार को टैंक की छत पर वेल्डिंग करने के लिए कर्मचारी चढ़े तो हादसे का शिकार हो गए। काश ढक्कन खुले हुए होते तो गैस का दबाव विस्फोट नहीं कर पाता। उधर, प्रभारी निरीक्षक बिजेंद्र पाल राणा ने बताया कि जांच में प्रथम दृष्टया यह बात सामने आई है कि दो दिन पहले टैंक के ढक्कन बंद कर दिए गए थे।