सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद प्राचा ने 'विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण' (एसआईआर) प्रक्रिया को लेकर एक बड़ा और सनसनीखेज दावा किया है। उन्होंने एसआईआर प्रक्रिया को पूरी तरह से गैरकानूनी बताया है और चेतावनी दी है कि इसमें शामिल प्रत्येक अधिकारी या कर्मचारी अपराधी की श्रेणी में आएगा और समय आने पर अपनी सज़ा भुगतेगा।
प्राचा ने विशेष रूप से चुनाव आयोग और इस प्रक्रिया में लगे बीएलओ को साफ और सख्त चेतावनी दी। उन्होंने इन सभी से इस प्रक्रिया में हिस्सा न लेने का आह्वान किया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि बीएलओ जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और उससे जुड़े नियमों को पढ़कर ही अपना कार्य करें। उन्होंने एसआईआर प्रक्रिया के दौरान जान गंवाने वाले बीएलओ को शहीद करार दिया। प्राचा ने कहा, "वे ईमानदार लोग थे, जिन्होंने गलत तंत्र के दबाव में जान गंवाई। उनकी क़ुर्बानी हमेशा याद रखी जाएगी।"
महमूद प्राचा ने अपने बयान के दौरान जमीयत के मौलाना मदनी, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और हुमायूं कबीर पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि ये सभी भाजपा के दलाल हैं और एक ही गुट में शामिल हैं। प्राचा ने जनता को यह गारंटी दी कि कोई भी नागरिक डिटेंशन सेंटर में नहीं जाएगा। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा, "जो लोग ये केंद्र बना रहे हैं, वही इसमें जाएंगे।"
न्यायिक व्यवस्था के महत्त्व पर बल देते हुए, प्राचा ने कहा कि देश में यह व्यवस्था बेहद अहम भूमिका निभाती है। जिस देश की यह व्यवस्था जितनी मज़बूत होगी, वह देश भी उतना ही मज़बूत होगा। उन्होंने वकीलों को भी अपना हक़ समझते हुए उसके लिए लड़ने का आग्रह किया। इसके साथ ही, उन्होंने विपक्ष की भी ज़िम्मेदारी तय करते हुए कहा कि उसे सरकार द्वारा किए जा रहे गलत कार्यों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए।
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