देवव्रत द्वारा सीबीआई से की गयी शिकायत मे बताया गया था कि उसके भाई राजकुमार ने मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के तहत 5 लाख का लोन लेने के लिया आवेदन किया था। खादी ग्रामोद्योग विभाग द्वारा उसकी पत्रावली सहसवान स्थित पंजाब नेशनल बैंक की शाखा को भेज दी गयी थी। जानकारी होने पर सात मार्च को राजकुमार ने बैंक से संपर्क किया था। वहां शाखा प्रबंधक राजीव गंगवार ने दयाराम नाम के एक कर्मचारी को बुलाया और राजकुमार से कहा कि तुम इनके सम्पर्क मे रहना। इसके बाद से ही राजकुमार बैंक के चक्कर काट रहे थे। कुछ समय बाद दयाराम ने राजकुमार से कहा कि लोन पास कराने के बदले 40 हजार रूपये देने होंगे। राजकुमार ये पैसा देने की स्थिति मे नहीं था और उसने अपने भाई देवव्रत से इस बारे मे बताया। देवव्रत ने तुरंत ही मामले की सूचना सीबीआई को दी। इसके बाद देवव्रत ने सीबीआई के लखनऊ कार्यालय में जाकर पूरी जानकारी दी और साक्ष्य भी प्रस्तुत किए। सीबीआई ने दोनो भाइयो से शाखा प्रबंधक व बैंक कर्मचारी के सम्पर्क मे बने रहने को कहा। इसी बीच दोनो पक्षों के बीच 38 हजार रूपये मे बात तय हो गयी।
सीबीआई ने मामले की गंभीरता को देखते हुए ट्रैपिंग की योजना बनाई और सुनियोजित तरीके से बैंक में छापा मारा। देवव्रत ने सीबीआई टीम द्वारा पूर्व में चिह्नित किए गए नोट आरोपियों को सौंपे थे, जिनके नंबर टीम के पास पहले से दर्ज थे। आरोपी कर्मचारियों ने घूस में लिए गए नोटों को बैंक के सामान्य कैश में मिला दिया था, जिससे कार्रवाई में देरी हुई। इस पर सीबीआई टीम ने पूरे कैश की गिनती कराई। लेनदेन के लेजर रजिस्टर की जांच की। जांच के बाद 38 हजार रुपए अतिरिक्त पाए गए जो वही रिश्वत के नोट थे। टीम ने इन्हें बरामद कर लिया। देर रात तक बैंक खुला रहा और कानूनी कार्रवाई चलती रही।
देर रात एसएसपी डॉ ब्रजेश सिंह ने बताया, भ्रष्टाचार के मामले मे लिप्त पाए गए पंजाब नेशनल बैंक के शाखा प्रबंधक राजीव गंगवार, मूल निवासी गाँव मेहतरपुर, थाना क्षेत्र फरीदपुर बरेली व एक बैंक कर्मचारी दयाराम उर्फ़ दया, निवासी ग्राम धर्मपुर टप्पा वैश्य, थाना क्षेत्र जरीफनगर को गिरफ्तार किया गया है। ये छापामार कार्रवाई सीबीआई की एंटी करप्शन टीम ने की है। बुधवार रात सीबीआई ने लखनऊ शाखा में ही यह केस दर्ज कर लिया है।
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