चंदौसी/जिला संभल - श्री नारायण सेवा समिति के तत्वाधान मे राष्ट्र नायक महाराणा प्रताप जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित कायर्कम में वक्ताओं ने रखे अपने विचार - News India 17 # खबर देश की - नजर दुनिया की #

Breaking


गुरुवार, मई 08, 2025

चंदौसी/जिला संभल - श्री नारायण सेवा समिति के तत्वाधान मे राष्ट्र नायक महाराणा प्रताप जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित कायर्कम में वक्ताओं ने रखे अपने विचार

www.newindia17.com

श्री नारायण सेवा समिति (रजि) के तत्वाधान मे राष्ट्र नायक महाराणा प्रताप की जयंती की पूर्व संध्या पर एक कार्यक्रम का आयोजन चंदौसी नगर के भोलेनाथ भवन मे किया गया। इस अवसर पर मौजूद रहे वक्ताओं ने अपने विचार प्रकट किये तथा भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ की गयी कार्रवाई पर हर्ष व्यक्त किया।


कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए समिति के संरक्षक के0 जी0 गुप्ता ने कहा कि महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ था। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए बृजगोपाल गुप्ता ने कहा कि महाराणा प्रताप बचपन में भीलों के साथ युद्ध कला सीखते थे। वे बचपन से ही वीर एवं बलशाली थे। समिति के अध्यक्ष सुभाष वार्ष्णेय ने कहा कि महाराणा प्रताप उदयसिंह व जयवंत कुंवर के पुत्र तथा राणा सांगा के पौत्र थे। एडवोकेट हरीश कठेरिया कहा कि महाराणा प्रताप के काल में दिल्ली में मुगल सम्राट अकबर का शासन था जो समस्त भारत को अपने अधीन करना चाहता था। डॉ. जयशंकर दुबे ने कहा कि लगातार 30 वर्षों के प्रयास के बावजूद महाराणा प्रताप ने अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की।


मुख्य वक्ता डॉ. टी. एस. पाल ने कहा कि आज का परिदृश्य विजय और गौरव गाथा से भरा हुआ है, आज भी महाराणा प्रताप जैसे वीर उपस्थित हैं। कृष्णगोपाल मंगलम् ने कहा कि मुगलो का बढ़ने पर महाराणा प्रताप जंगलों में चले गए और घास की रोटियां खाकर जीवन निर्वाह किया। सचिन शर्मा एडवोकेट ने कहा कि भारत वीरों का देश है और हमारे सैनिक प्राणप्रण से देश सेवा करते हैं। विपिन गुप्ता ने कहा कि हमें गर्व है किजिस प्रकार महाराणा प्रताप ने देश की रक्षा की उसी प्रकार आज भी हमारे वीर सैनिक रक्षा करते हैं। दिनेश चीनी ने भारत की जीत पर हर्ष व्यक्त किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कृष्णगोपाल मंगलम् ने तथा संचालन हरीश कठेरिया ने किया।

web counter free
अभी तक पाठक संख्या