समाजवादी पार्टी के दिवंगत नेता अमर सिंह के परिवार पर आपत्तिजनक टिप्पणी किये जाने के मामले मे पर्याप्त सबूत उपलब्ध न होने पर अदालत ने आज शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद आजम खां को बरी कर दिया। रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट में मंगलवार को अंतिम बहस पूरी होने के बाद आज शुक्रवार को ये फैसला सुनाया। आजम खां जो इस समय रामपुर जेल मे बंद है वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट की कार्यवाही से जुड़े।
पाठको को बताना उचित होगा कि समाजवादी पार्टी के दिवंगत नेता अमर सिंह ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद आजम खां पर उनकी बेटियो को लेकर अशोभनीय टिप्पणी किये जाने का आरोप लगाए थे। आरोप था कि 23 अगस्त 2018 को एक निजी चैनल को दिए गए इंटरव्यू के दौरान आजम खां ने अमर सिंह की बेटियो के खिलाफ विवादित टिप्पणी की थी। इसको लेकर अमर सिंह ने टिप्पणी के बाद नोएडा से लखनऊ तक रैली निकाली थी, जिसके बाद डीजीपी के आदेश पर लखनऊ में मुकदमा दर्ज हुआ था। यह इंटरव्यू जौहर यूनिवर्सिटी में दिया गया था। बाद में केस को लखनऊ से रामपुर के अजीमनगर थाने में ट्रांसफर कर दिया गया था। टिप्पणी के आरोप में दर्ज इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें आज दोषमुक्त कर दिया।
कोर्ट के उक्त फैसले से पहले आज शुक्रवार को रामपुर जेल गेट पर उस वक्त नाटकीय स्थिति उत्पन्न हो गई जब आजम खां ने कोर्ट में पेशी के लिए लाए गए कैदी वाहन में बैठने से साफ इनकार कर दिया। वाहन देखते ही आजम खां ने कहा कि वह राजनीतिक कैदी हैं और इस तरह के बड़े वाहन में नहीं जाएंगे। उन्होंने अपने लिए बोलेरो जैसा वाहन उपलब्ध कराने की मांग की। वैन में बैठने से मना करते ही वह वापस जेल के अंदर लौट गए। उनकी इस जिद के बाद पुलिस और जेल अधिकारी उन्हें मनाने में जुटे रहे। कोर्ट ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से तलब किया था, जिसके कारण जेल प्रशासन को अंततः उनके लिए एक छोटा वाहन उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू करनी पड़ी। थोड़ी देर बाद उन्हें अमर सिंह टिप्पणी मामले में पेशी के लिए कोर्ट ले जाया गया, जहां वीसी के माध्यम से वह बरी होने की खबर से जुड़े।
आजम खां के खिलाफ यह मामला थाना अजीमनगर में दर्ज किया गया था। आरोप था कि 23 अगस्त 2018 को उन्होंने एक न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में अमर सिंह के परिवार को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसके बाद उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया था। यह मामला एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट में विचाराधीन था।
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