गत वर्षो की भांति इस वर्ष भी दशलक्षण पर्व के समापन के उपरांत जैन समाज के तत्वाधान में नगर में भव्य गज रथ यात्रा निकाली गयी। जैन मंदिर से आरम्भ हुई रथयात्रा से पूर्व सौधर्म इंद्र, भगवान के रथ के सारथी, धन कुबेर, ऐरावत हाथी व सर्वप्रथम श्री जी की आरती के लिए बोली लगाई गयी। सौधर्म इंद्र की बोली मनोज कुमार जैन पुत्र राम भरोसेलाल जैन, भगवान के रथ के सारथी की बोली पवन कुमार जैन पुत्र सुनील कुमार जैन, धन कुबेर की बोली शुभम जैन सिप्पी पुत्र संजीव जैन, ऐरावत हाथी की बोली पारस जैन पुत्र राजीव जैन आढ़ती तथा सर्वप्रथम श्री जी की आरती की बोली नीरज जैन चाँदी वालो ने ली। इसके बाद निर्धारित समय पर विधि विधान के साथ रथ यात्रा प्रारम्भ हुई।
रथयात्रा में सबसे आगे एक युवक धर्म ध्वजा लिए हुए था। इसके बाद चंदौसी से आयी ड्रम पार्टी, धर्म चक्र, धार्मिक धुनें बजाता हुआ बैंड भगवान बाहुबली की झांकी, राजस्थानी नृत्य करते कलाकार, चक्रव्यहू में फंसे अभिमन्यु आदि सहित विभिन्न आकर्षक झांकिया शामिल रहे। रथ यात्रा में शामिल दो बैंड लगातार धार्मिक व मनोरम धुनें बजाते हुए चल रहे थे। रथ यात्रा में शामिल श्रद्धालु बैंड पर बज रही धार्मिक धुनों पर नाचते गाते चल रहे थे। रथ यात्रा में मुख्य आकर्षण का केंद्र ऐरावत हाथी व दो हाथियों वाला स्वर्ण रथ रहा। रथ यात्रा के दौरान जैन समाज के लोगो द्वारा नंगे पाँव इन रथो को खींचकर ले जाया गया।
निर्धारित मार्गो से होते हुए रथ यात्रा मंदिर प्रांगण में जाकर संपन्न हुई। इसके उपरांत जैन विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में स्थित पांडुक शिला पर जलाभिषेक किया गया तथा महाआरती कर श्री जी की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया। रथ यात्रा के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से प्रभारी निरीक्षक धर्मेंद्र सिंह के साथ पर्याप्त संख्या में पुलिस बल मौजूद रहा। नगर पालिका द्वारा भी रथ यात्रा मार्ग को गड्ढा मुक्त करने के साथ ही साफ़ सफाई का विशेष प्रबंध किया गया था।
रथ यात्रा के दौरान मुख्य रूप से राजीव जैन, ऋषभ जैन, निकुंज जैन, अंशीत जैन, सौरभ जैन, विनय जैन, डॉ अंकुर जैन, नितिन जैन, शैलेन्द्र जैन, शरद जैन, शब्द जैन, पुनीत जैन, राजेश जैन, राजीव जैन, रजत जैन, अर्पित जैन, अभिनय जैन, पंकज जैन बिट्टू, पारस जैन, डॉ अंकुर जैन आदि उपस्थित रहे।
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